पुस्तक- मनोहर सूक्तियाँ

स्वतंत्र लेखक, विचारक और दार्शनिक श्री हीरो वाधवानी जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। अजमेर, राजस्थान में जन्मे और फिलीपींस के निवासी वाधवानी साहब की विशिष्टता को साबित करने के लिए इतना ही काफी है कि वह विदेशी धरती पर बिना पढ़े कई कई घंटे प्रवचन देते रहते हैं, इससे पता चलता है कि वह केवल बुद्धिजीवी ही नहीं एक जागृत मनुष्य हैं क्योंकि ज्ञान और ध्यान बहुत संयुक्त होते हैं। अपने ज्ञान और ध्यान को उन्होंने सूक्तियों के माध्यम से हम तक पहुँचाया है।

सब सूक्तियाँ अर्थवत्ता की व्यक्तिगत तलाश से लेकर सामाजिक जीवन तक को छू रहीं हैं। पांच भाषाओं के ज्ञाता और चार अन्य पुस्तकों के लेखक श्री वाधवानी  जी की अद्वितीय पुस्तक “मनोहर सूक्तियाँ” का यह पहला संस्करण है। कालजयी कवि श्री "गोपाल दास नीरज" जी ने इनकी पुस्तकों के लिए कहा था "आपकी पुस्तकें पारस पत्थर की तरह हैं।"

246 पन्नों की इस किताब ने आम जनमानस से लेकर साहित्य के आकाश के चमकते सितारों तक में अपना एक विशिष्ट स्थान बना लिया है, कारण यह है कि इसमें अद्वितीय साहित्यिक स्तर, भाषा सौंदर्य और रसपूर्णता है। वाधवानी जी  ने जीवन के लगभग हर पहलू पर अपने विचार रखे और अब उन्होंने उस वैचारिक धरोहर को एक पुस्तक के रूप में संकलित कर दिया ताकि जनसाधारण का मार्ग प्रशस्त हो सके।

वाधवानी जी ने सरल, सहज, साधारण शब्दों में दर्शन शास्त्र को समझाने जैसे  दुरूह कार्य को सफलता से पूर्ण किया है। चिंतन और मनन द्वारा लेखक ने अपने मन की बात को हमारे सामने रखा है। सूक्तियाँ लिखने का यह प्रयोग अपने आप में अनूठा है।

लेखक ने हर विषय को छुआ है और अपने लेखकीय रंगों को सरल भाषा में एकत्रित कर एक गुच्छपुंज पाठकों के हाथों में थमा दिया है। 

- सादगी नारी की, पेड़ पृथ्वी की शोभा हैं।

-विस्फोटकों की वाणी भद्दी और बदबूदार होती है।

- सबके कान एक जैसा नहीं सुनते।

-अनपढ़ कई जगह से फटे किताब की तरह है।

-ईश्वर भी ग़म खाने और कठोर परिश्रम करने वाले की प्रशंसा करता है।

यह किताब अपने आप में पूर्णता लिए हुए है। मुद्रण से लेकर कलात्मक साज सज्जा अति उत्कृष्ट है। यह पुस्तक पढ़कर, सहेजने योग्य है। इस तरह की किताब अगर ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक अपनी पहुंच बनाती है तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित किताबों की श्रेणी में आ सकती है। जिनके भी हाथों में वाधवानी जी की यह धरोहर जाएगी, उनको अवश्य प्रभावित करेगी।


 


            अनुजीत इकबाल



  • किसीभी प्रकार की खबर/रचनाये हमे व्हाट्सप नं0 9335332333 या swaikshikduniya@gmail.com पर सॉफ्टमोड पर भेजें

  • स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र की प्रति डाक से प्राप्त करने के लिए वार्षिक सदस्यता (शुल्क रु500/- ) लेकर हमारा सहयोग करें

  • साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें8318895717 पर संपर्क करें।

  • कृपया यह ध्यान दे की कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा