मनोहर सूक्तियाँ जीवन का अनमोल,अलौकिक व अनूठा संग्रह है।आज के व्यस्त जीवन में एक प्रखर चिंतक व साहित्य मनीषी हीरो वाधवानी जी ने सूक्तियों के जरिए अपने प्रखर चिंतन व सकारात्मक विचारों से जनमानस को अनमोल संग्रह दिया है।लेखक ने सूक्तियों में अपने जीवन के अनुभव को सरल व सहज रूप में अभिव्यक्त किया है, जो पाठक में सकारात्मक ऊर्जा का नव संचार करने में सक्षम है।हर एक सूक्ति जीवन के हर पहलू को सकारात्मक जीवन जीने के लिए पथ प्रदर्शक का कार्य करती है।
कुछ अनमोल सूक्तियां इस प्रकार है:-
* मां है तो अंधेरे में से भी रोशनी की किरण निकाल लेती है ।
*शरीर का बोझ, ईर्ष्या और अहंकार के बोझ से कम होता है ।
*सदाचारी, संयमी और परोपकारी इंसान ईश्वर के अधिक निकट है ।
* दुखी मां की आंखों से बहने वाले आँसुओ से ईश्वर के पैर झुलसते है।
* ज्ञान और भोजन ईश्वर का प्रसाद है, इन्हें बांटना चाहिए। *आलस्य, सफलता और समय का दुश्मन है।
* जब सास और बहू मिलकर हँसती है तो घर मुस्कुराता है।
* मां, ईश्वर से एक ओंस
ज्यादा है।
*हिम्मतवाला इंसान हाथी से भी अधिक शक्तिशाली होता है।
* नेकी हरी-भरी बदी उजड़ी हुई फसल है।
*बेटा हीरो हो या ना हो बेटी अधिकतर पारसमणि होती है।
* सत्य की जड़े समुद्र तल होती है और झूठ बिना जड़े वाला होता है ।
लेखक हीरो वाधवानी जी की सूक्तियां को पढ़ने से एक निराश व हताश इंसान में भी आशा की लो जागृत होती है।सूक्तियों को जो इंसान अपने जीवन में अपना लेता है तो मानो उसने जीवन का सार पा लिया है।पदम भूषण, महाकवि, गीतकार गोपालदास नीरज जी ने पुस्तक को पारस पत्थर की तरह बताया है।इस महान विभूति के विचारों से लेखक वाधवानी जी की पुस्तक के महत्तव का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
अजमेर (राजस्थान)में श्री कोडूमल व श्रीमती लाली बाई के घर 5 अप्रैल 1952 को
जन्मे साहित्य की इस
नामचीन शख्शियत हीरो वाधवानी व्यापार केसिलसिले में मनिला (फिलीपींस)में रहते हुवे भी साहित्य सृजन एवं अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव हमेशा बनाए रखा।ओर उम्र के इस पड़ाव पर यह लगाव उनको अजमेर ले आया है।और साहित्य सृजन आज भी जारी है। हीरो वाधवानी 5 भाषाओं (हिंदी अंग्रेजी उर्दू सिंधी फिलिपिनो) के ज्ञाता हैं। इनकी 4 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है, यह मनोहर सूक्तियां इनकी पाचवी कृति है। वाधवानी जी 25 विधाओं में लेखन कर चुके हैं। वाधवानी जी की यह पुस्तक समाज में एक सकारात्मक एवं आशावादी सोच जागृत करने में सक्षम है, जो सुखद जीवन का सार बताते हुवे,नैतिकता का अहसास कराती है।वास्तव में हीरो वाधवानी जी की यह कृति अनमोल है।
समीक्षक-डॉ.शम्भू पंवार
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