“यादों का सफर"

घूमने जाना... वाह! सोच कर ही मन रोमांचित हो उठता है। घूमने जाना किसे
पसंद नहीं? हम सभी घूमने जाने को सदैव ही तत्पर रहते हैं। रोजमर्रा की
जिन्दगी, और आपाधापी भरी दिनचर्या से इतर जब भी हम कहीं यात्रा पर जाते हैं,
मन आह्लादित हो उठता है। प्रकृति के करीब, प्राकृतिक सौंदर्य के करीब,
नदी-पहाड़-झरने-समुद्र, देवस्थल आदि देखना, घूमना, अपने आप में एक अलग
ही अनुभव होता है। और ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता कि हम कहीं घूमने जाएँ,
और कोई विशेष याद ना लेकर लौटें। ये खट्टी-मीठी सी यादें, कुछ कड़वे, कुछ
मीठे अनुभव, हम सभी को अपनी यात्राओं में होते जरूर हैं।
____ मैंने प्रयास किया अलग-अलग लोगों के ऐसे ही अविस्मरणीय अनुभवों को
एक डोर में पिरो कर रंग-बिरंगी माला बनाने का! और इस अतरंगी-सतरंगी सी
माला को नाम दिया- “यादों का सफर"।
उम्मीद करती हूँ, यह माला आप सबके मन को भाएगी। और आप सभी उतने
ही शौक से इसके मोती चुनेंगे, जितने शौक से हम सबने इनको पिरोया और गूथा
है।



            प्रियंका अग्निहोत्री "गीत"