हर हाथ रोजगार दिलाना होगा
पेट की भूख मिटाने खातिर,

          बुझते चूल्हे को जलाना होगा।

काम के आस में बैठे लोगों को,

         किसी रोजगार में लगाना होगा।

 

उघड़े बदन को छुपाने खातिर,

         फटे चिथड़े को सिलवाना होगा।

मंदी की मार से घर बैठे लोगों को,

           किसी रोजगार में लगाना होगा।

 

बच्चों के मासूमियत बचाने खातिर,

     कंधों से कचरे का बोरा हटाना होगा।

फिर कोई मासूम ना फंसे इसमें,

    माता-पिता को रोजगार मे लाना होगा।

 

किसी मां को मरने से बचाने खातिर,

     उनके बच्चों का दायित्व उठाना होगा।

मजबूरी में कोई आत्महत्या ना कर ले,

  इसके लिए उसे रोजगार मे लगाना होगा।

 

चावल-चावल कह कर बिलखे बेटी,

         ऐसी खबर से देश को बचाना होगा।

फिर शर्मसार ना होना पड़े भारत को,

       हर हाथ को रोजगार में लगाना होगा।

 

किसी बेटी का डोली ना हो उदास,

        दहेज मुक्त देश-समाज बनाना होगा।

दहेज के लिए न जले और कोई बेटी,

       बेटा-बेटी दोनों को आत्मनिर्भर होगा।

 


         गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम



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