फिर से वही गीत गुनगुनाओ ना जो तुम हमेशा गाया करती थी मेरे लिए
***** जो तुम को हो पसन्द वही बात कहेंगे, तुम दिन को अगर रात कहो ,रात कहेंगे ****
माना कि रूप की धूप नहीं रही चेहरे पे , मग़र शाम की लाली तो अभी भी है रूख़सारों पे । पीना चाहता हूँ फिर से तेरे नैनों की मदिरा , जाम पर जाम भर के पिला दो , फिर से वही रफ़ीकों ( तेरे मेरे नयन ) की महफ़िल सजा दो ।
ज़रा नज़रों से नज़रें मिला कर फिर से मुझे मदहोश कर दो , हुस्न के जलवे दिखा कर फिर से मुझे बहका दो । बीमारे - ग़म हूँ आज भी पहले सा तुम्हारा, ना समझो राहे -शौक़ (इश्क का मार्ग ) भूल चुका ।
तहूर सा हुस्न तुम्हारा जलाता है आज भी मुझे आतिशे-ग़म में , इक बार फिर से वो पहला सा प्यार बरसा दो ।
माना कि कुछ फर्ज़ निभाते-निभाते तेज़ रफ़तार हो गई हमारी, माना कि कुछ टूटे रिश्तों को जोड़ने में ,कुछ रूठों को मनाने में, रह गई हसरतें अधूरी कुछ ।
कहीं थम ना जांऐ साँसे हमारी , रह जाए ना प्यार का कर्ज़ कोई , चलो हसरतों को फिर से जगा दे , इस ढलती शाम को इक बार फिर से सजा दें ।
आओ एक बार फिर से वही गीत गुनगुना दें ** जो तुमको हो पसन्द वही बात कहेंगे *********
प्रेम बजाज
- किसी भी प्रकार की खबर/रचनाये हमे व्हाट्सप नं0 9335332333 या swaikshikduniya@gmail.com पर सॉफ्टमोड पर भेजें।
- स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र की प्रति डाक से प्राप्त करने के लिए वार्षिक सदस्यता (शुल्क रु 500/- ) लेकर हमारा सहयोग करें।
- साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधि, ब्यूरो चीफ, रिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।
- कृपया यह ध्यान दे की कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा।
- कृपया अपनी रचना के साथ अपना पूरा विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो अवश्य भेजें।