सावधानी और सुरक्षा प्रायः एक दूसरे के पूरक हैें, सावधानी सुरक्षा का मूलमंत्र है। सावधानी एक ऐसा प्रत्यय है जिसका सम्बन्ध हमारे मस्तिष्क और व्यवहार दोनों से है। अगर हमारे व्यवहार में सावधानी है तो हम स्वयं कांे सुरक्षित रखने के साथ अन्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं। वर्तमान परिस्थितियों का अगर आज आंकलन किया जाये तो हम पायेगें कि सावधानी सुरक्षा की वह महत्वपूर्ण आवश्यकता है जो उसकी अनिवार्यता को भी दर्शाता है या ये कहे कि सावधानी ही सुरक्षित रहने की प्रथम शर्त है तो अतिश्योक्ति न होगी। सावधानी व सुरक्षा की महत्वता को अगर हम वर्तमान परिदृश्य से जोड़कर देखें तो बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है।
सम्पूर्ण विश्व में वर्तमान में जो परिस्थितियाँ निर्मित हैं उसमें कोरोना जैसी आपदा वैश्विक आधार ले चुकी है। दिन प्रतिदिन दुनिया भर में इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी आकार लेता जा रहा है, रुकने का नाम नही ले रहा है इसकी भयावहता का अंदाज हम इस बात से लगा सकते हैं कि जो देश सम्पूर्ण विश्व में अपनी शक्ति का लोहा मनवाते थे आज वही देश इस आपदा एवं संकट के समक्ष लाचार दिख रहे हैं, आगे क्या होगा ये कहना और समझना दोनों ही कठिन हो रहा है।
अभी तक इस आपदा से सम्बन्धित न कोई परीक्षण सामग्री तैयार हो पायी है न ही कोई प्रमाणिक दवा आविष्कृत हो पायी है। उत्पादन, हृास, भय सामाजिक संत्रास और आर्थिक मंदी विभीषिका का रूप लेती जा रही है, किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि प्रगति के नाम पर ऐसे सर्वाधिकार प्राप्त देश वैश्विक आपदा पैदा करके विश्व को प्रलय का बोध करा देगें।
ऐसे में अपने देश के इस राष्ट्रीय संकट के समय में समाधान हेतु इस आपातकालीन स्थिति को सकारात्मक मानसिकता के साथ स्वीकार करना होगा और साथ ही इस आपातकालीन परिस्थिति से उबरने हेतु प्रत्येक नागरिक को कुछ विशेष दायित्व भी निभाने होगंे।
इन विपरीत परिस्थितियों और राष्ट्रीय आपदा के निराकरण हेतु हम सभी भारतीयों को स्वतः संकल्प लेकर सजग रहना चाहिये क्योंकि असावधानी, असजगता, बेखबरी और अदूरदर्शिता ऐसी भूलें हैं जिन्हें अनेक प्रकार की आपत्तियों का उद्गम स्थल कह सकते हैं। असावधानी एक ऐसा दूषित तत्व है कि उसके फल से अनेक प्रकार की हानियाँ एवं विपत्तियाँ एकत्रित हो जाती हैं। वर्तमान समय में अपने आपको सुरक्षित एवं स्वस्थ रखना एक चुनौती सा बन गया है। कोरोना वायरस से उपजी महामारी से लड़ाई में हर किसी का सहयोग आवश्यक है। यह भूल और संशय कतई नहीं होना चाहिए कि केवल बड़े शहरों के लोगों को ही सावधान रहने की आवश्यकता है। इस संकट से बचने में तो देश के प्रत्येक नागरिक का योगदान चाहिए चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण।
वास्तव में आज इस वैश्विक आपदा के संक्रमण को थामना और उस पर पूर्ण विराम लगाने के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक इसको एक ऐसा राष्ट्रीय यज्ञ बनाये जिसमें वह संकल्प सजगता और सावधानी से परिपूर्ण अपने नागरिक दायित्व की आहूति को डालकर देश और समाज में अपनी भूमिका को सुनिश्चित करना होगा।
चूँकि अब यह किसी से छिपा नहीं है कि किसी व्यक्ति की लापरवाही पूरे समुदाय पर भारी पड़ सकती है। इसलिये हर किसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह खुद तो सावधान रहे ही, दूसरें भी पर्याप्त सतर्कता बरते और इस तरह सभी संक्रमण से बचें रहें। साफ सफाई और सेहत के प्रति सतर्कता में कमी अथवा भीड़ - भाड़ से बचने में लापरवाही वैसे भयावह हालात पैदा कर सकते हैं जैसे विकसित देशों में देखने को मिल रहे हैं। इस लगभग अज्ञात चरित्र के वायरस को सामूहिक प्रयास से ही परास्त किया जा सकेगा। समाज की मान्य विभूतियों का भी दायित्व है कि इस परेशानी की घड़ी में अपनी भूमिका निर्धारित करें और परिवार, इष्ट मित्रों, नाते-रिश्तेदारों और सहकर्मीयों-सहयोगियों की कोरोना से सुरक्षा सुनिश्चित करें। यह ऐसी जंग है जिसमें सुरक्षा श्रृंखला की किसी एक कड़ी की कमजोरी सारे किये धरे पर पानी फेर सकती है। कोरोना से भयभीत होने की कतई जरूरत नहीं-सावधान रहे, सुरक्षित रहें।
सीमा निगम
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