उजाले का परचम

यूं तो हज़ारों चिराग साहित्य की ज़मीन को अपने फन के फूलों से महका रहे हैं और हर किसी का अपना-अपना एक खास मकाम भी है। लेकिन फैजुल हसन "फैज़' की कोशिश ने भी।
आज के युग के सिंहासन पर जिस तरह से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है वो भी बहुत प्रशंसनीय है। मैं फैजुल को तकरीबन बीस-पच्चीस वर्षों से जानता हूँ। वो मेरे बेहद अज़ीज़ मित्रों में भी हैं और बेहद ज़हीन होने के साथ-साथ एक बेहद खुश मिज़ाज इंसान भी हैं। उनके साहित्यिक प्रेम और काव्य ज्ञान ने मुझे भी बेहद प्रभावित किया है। फैजुल हसन "फैज़' की गज़लें व कविताएं वक़्त की नब्ज़ को पकड़ कर लिखी गई वक्त का आईना दिखाने जैसी हैं। जो उनके प्रयोगधर्मी व्यक्तित्व को दर्शाती हैं मेरी नज़र में फैजुल हसन "फैज़" का ये संग्रह हर किसी को बेहद प्रभावित करेगा और बेहद पसंद आयेगा।



                          जावेद आलम शम्सी