प्लास्टिक की कहानी

प्लास्टिक एक नान बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है ,जो पानी या मिट्टी में  विघटित नहीं होता है। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनेक अविष्कार किए हैं, प्लास्टिक भी इनमें से एक है‌। यह मानव निर्मित उत्पाद है। इस पदार्थ का अंत कभी भी नहीं होता है। यह हमारे लिए हानिकारक है । आज जहां भी देखो प्लास्टिक की वस्तुएं ही दिखाई देती है।  प्लास्टिक बैग नदियों, झीलों और सागरों के जल को भीषण रूप से प्रदूषित करता है ‌। जिससे जल का प्रदूषण हो जाता है। प्लास्टिक मिट्टी के साथ मिश्रित नहीं होता है और हजारों वर्षों तक यह जमीन और समुंद्र के नीचे पड़ा रहता है प्लास्टिक हमारी जिंदगी का आवश्यक हिस्सा बन चुका है।  प्लास्टिक ने हमारा जीवन जितना आसान किया है उतना ही उसकी वजह से हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।  प्लास्टिक का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में रोज करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है है कि प्लास्टिक  हमारे जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है।                                    

 ‌ पिछले कुछ वर्षों से जैसे-जैसे प्लास्टिक का उपयोग बढ़ रहा है वैसे-वैसे इसकी वजह से दिक्कतें भी बढ़ रही हैं। हमारे मोहल्ले की नालियां और नाले भी प्लास्टिक से भरे पड़े हैं। समुंद्र में पन्नी, पैकेजिंग और बोतल के अलावा मछुआरों के जाल, खिलौनों के ढेर तैर रहे हैं जल के बहाव के साथ इकट्ठे हुए प्लास्टिक के ढेर किसी बड़े टापू से नजर  आ रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि 2050 में 850 मेट्रिक टन प्लास्टिक कचरा इकट्ठा हो जाएगा।                                       

प्लास्टिक का निर्माण पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त तत्व और रसायनों से होता है । यह हमारे लिए हानिकारक है। बचपन से ही मनुष्य को प्लास्टिक की आदत लग जाती है। बच्चे को दूध की बोतल, निप्पल से लेकर उसके खिलौनों तक में प्लास्टिक होता है। कई फैक्ट्रियां प्लास्टिक का रिसाइक्लिंग करते हैं रिसाइक्लिंग के दौरान निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण होता है। यह धुआं हवा  में मिलकर हमारी सांस के द्वारा हमारे शरीर में पहुंच जाता जिससे उसके शरीर में बीमारी उत्पन्न हो जाती हैं।जहां भी देखो प्लास्टिक के कचरे के ढेर दिखाई पड़ रहे हैं। यदि प्लास्टिक के  अति उपयोग को रोका नहीं गया तो मनुष्य शुद्ध वायु और स्वच्छ वातावरण के लिए तरस जाएगा। मनुष्य समय रहते इसका निवारण करना होगा।अन्यथा वह खुद ही मुश्किल में पड़ जाएगा । मनुष्य अपने खाद्य सामग्री को भी प्लास्टिक के डिब्बे में रखता है । उसके पास दूसरे विकल्प हो सकते हैं , मगर फिर भी वह प्लास्टिक की कुर्सी से लेकर प्लास्टिक की बाल्टी तक का उपयोग करता है। पानी पीने के लिए ज्यादातर लोग प्लास्टिक की बोतल का उपयोग करते हैं।  यह कितना खतरनाक हो सकता है मनुष्य को अब पता चल रहा है । यह कहना गलत नहीं है कि मनुष्य खुद की बनाई हुई चीजों में फस गया है।                             

  प्लास्टिक का दुष्प्रभाव पशु पक्षियों और जलीय प्राणियों को भुगतना पड़ रहा है। गाय कभी कभी घास खाते खाते ऐसी जगह पहुंच जाती है जहां प्लास्टिक का ढेर हो । वह जाने अनजाने उस प्लास्टिक को खा लेती है इससे उसकी मौत हो जाती है । पानी में रहने वाले जीवो की मौत भी प्लास्टिक के कारण होती है।              
मनुष्य को प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का खंडन करना चाहिए ।  प्लास्टिक के स्थान पर कागज और जूट के बैग का इस्तेमाल करना चाहिए हमें जब भी दुकान से चीजें लानी हो तो कपड़े की थैली लेकर जानी चाहिए । प्लास्टिक के इन भयानक और बुरे प्रभाव की जानकारी को लोगों में फैलाना चाहिए। प्लास्टिक  के कचरे को इधर-उधर फेंकने की बजाय उसे जमीन के अंदर  दबाना चाहिए । प्लास्टिक को जलाना नहीं चाहिए। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।  स्कूल और अन्य शिक्षा संस्थानों में प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताना चाहिए ताकि वह कम उम्र में ही प्लास्टिक के प्रति सचेत हो जाएं। हमें अपने उज्जवल भविष्य के लिए प्लास्टिक का उपयोग करना बंद करना होगा I













     शिखा चौधरी                                        
       कांगड़ा 

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