आज ये अंग्रेज़ी माध्यम का प्रभाव सामाजिक कुरीतियो से लेकर आयोग तक का सफर है, बचपन से बच्चा अंग्रेज़ी में तेज है तो उसे टैलेंट का दर्जा दिया जाता है और अब यह आयोग भी ,मेरे सभी सफल साथियों को शुभकामनाएं परंतु मैं टॉप फाइव में हिन्दी माध्यम के स्टूडेंट्स को भी देखना चाहता हूं , भेदभाव से काम नहीं चलेगा, हर बार टॉप फाइव में अंग्रेज ही आखिर क्यों? जब रिजल्ट इंग्लिश में 90% रखना है और हिंदी में 4% तो माननीय प्रधानमंत्री जी राष्ट्रीय भाषा का दर्जा हिंदी से हटाकर अंग्रेजी ही कर दीजिए । साथियों मुझे बेहद दुःख है , की हिंदी माध्यम वाले छात्रों के साथ 2013 से ही अन्याय हो रहा है। 2013 से अभी तक हिंदी माध्यम के सफल अभ्यर्थियों की संख्या ना के बराबर हो गई है,761 सफल छात्रों में से देखे तो मुश्किल से 25-30 अभ्यार्थी हिंदी माध्यम से है । याद रखना ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में 21वीं सदी के आधुनिक भारत में पढ़ाया जाएगा कि कभी हिंदी माध्यम के लोग भी यूपीएससी परीक्षा में अच्छे रैंक से सफल हुआ करते थे । कैसे लोग तैयारी करते थे किस प्रकार से दिल्ली और इलाहाबाद जैसे जगहों पर एजुकेशन माफिया कोचिंग के लुटेरे जिनको सम्मान पूर्वक कोचिंग संस्थान भी
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