नरेंद्र मोदी,जो बाइडेन वन टू वन मुलाकात। चीन,पाकिस्तान की उड़ी नींदl


(दोनों की मीटिंग 1 घंटे 30 मिनट तक चली )
अमेरिका के वाइट हाउस में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कि लगभग 1 घंटे 30 मिनट की मुलाकात वैश्विक राजनैतिक परिदृश्य में बहुत महत्वपूर्ण है। दुनिया की सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री और विश्व के सबसे बड़े शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति के मध्य कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम,जलवायु परिवर्तन और वैश्विक शांति तथा विकास के मुद्दे पर लंबी बातचीत हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति ने बैठक के बाद कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते तथा संबंध मजबूत तथा करीबी होंगे। उन्होंने कहा कि भारत के लिए 1 अरब वैक्सीन के निर्माण में पूरा सहयोग करेंगे। दोनों नेताओं ने महात्मा गांधी का भी स्मरण किया और उनकी ट्रस्टीशिप नीति का पालन करने पर भी जोर दिया । उन्होंने कहा कि दोनों देश परस्पर व्यापारिक संबंध आगे स्थापित करेंगे। इस बैठक में करोना के खिलाफ लड़ाई एवं जलवायु परिवर्तन का समाधान अहम मुद्दा थे। इस बैठक के महत्व का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यह मुलाकात 60 मिनट की पूर्व से निर्धारित थी पर बैठक 1 घंटे 30 मिनट तक चली। इसमें कोई शक नहीं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ काफी मजबूत तथा मधुर हुए हैं। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद क्वाड के 4 देशों,भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया,जापान की बैठक भी हुई।
बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,अमेरिकी राष्ट्रपति, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट हैरिसन, जापान के प्रधानमंत्री सुगा शामिल हुए थे। बैठक में चारों देशों के नेताओं ने एक सुर में आपसी सहयोग और करोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई वैश्विक शांति तथा आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बात कही। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि चारों देश इंडो पेसिफिक देशों की मदद के लिए सामने आएं और चारों देश क्वाड के सदस्य के रूप में समान नजरिया रखते हैं, जिसके फलस्वरूप एक संयुक्त अभियान चलाकर आतंकवाद तथा अन्य वैश्विक अराजक वादी तत्वों के खिलाफ मोर्चा खोला जा सकता है। इसके अलावा वैश्विक अराजकता एवं कट्टरपंथ के खिलाफ क्वाड, ब्रिक्स, नाटो और संयुक्त राष्ट्र संघ को एकजुट होकर कई मुद्दों पर काम करना होगा।क्वाड सम्मेलन मूलतः चीन की आक्रामक विस्तार वादी शैली एवं वैश्विक दादागिरी के खिलाफ इंडो पेसिफिक रीजन में अपनी शक्ति को बढ़ाने हेतु आहूत की गई थी पर खुलकर इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई। यह माना जा रहा है कि यह एक गुप्त एजेंडा भी रहा होगा। भारत के प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति की वन टू वैन बैठक व मुलाकात एवं चार शक्तिशाली देशों की क्वाड बैठक की सफलता से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ चुकी है। चीन के विदेशी मामलों के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि क्वाड देश को विश्व के किसी भी देश का समर्थन प्राप्त नहीं हो सकेगा। लेकिन यह बैठक चारों देशों के मध्य साउथ चाइना सी और प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति तथा जापान, आस्ट्रेलिया के बड़े भूभाग पर कब्जा करने की नियत तथा भारत के अरुणाचल प्रदेश पर अतिक्रमण करने की नियत पर नियंत्रण रखने हेतु बुलाई गई थी। चारों देशों के साझा निर्णय लेने से चीन के राष्ट्रपति की बेचैनी काफी बढ़ गई है। पाकिस्तान रात भर करवटें बदल रहा है। पाकिस्तान तथा तालिबान पूरी दुनिया के सामने कट्टर आतंकवादी साबित हो चुके हैं। अब भारत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान,फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, इजरायल तथा अन्य यूरोपियन देश चीन की विस्तार वादी नीति तथा पाकिस्तान और तालिबान की आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ एकजुट होने की संभावना बलवती हो चुकी हैं और ऐसे वक्त पर भारत तथा अमेरिका के राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण सफलतापूर्वक बैठक का होना वैश्विक राजनीति और शांति को नई दिशा देने के दूरगामी शुभ संकेत है। और यह भी तय है की वैश्विक राजनीति में चीन पाकिस्तान और तालिबान सर्वथा अलग-थलग पड़ चुके हैं। इन परिस्थितियों में रूस भी तालिबान को समर्थन देने में 10 बार विचार करेगा। भारत के प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखी जा रही है और इस यात्रा के बाद भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कद और ऊंचा हो गया है ।अब लोग भारत को नवीन भारत के रूप में देख रहे हैं।













        संजीव ठाकुर
        छत्तीसगढ़

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