10 अक्टूबर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर

पूर्ण स्वास्थ्य प्रत्येक व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता तथा मौलिक अधिकार है । जब व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होता है तब उसे

पूर्ण स्वास्थय प्राप्त होता है । प्राय: यह देखा जाता है कि हम सब अपने शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होते हैं,उसकी देखभाल करते हैं और उसकी रक्षा भी करते हैं,परंतु मानसिक स्वास्थ्य की तरफ ध्यान भी नहीं देते हैं।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस(10 अक्टूबर) अपने मन का आत्मनिरीक्षण करके अपने व्यक्तित्व विकारों व मानसिक विकृतियों को सक्रिय रूप से पहचानने के उद्देश्‍य से पूरी दुनिया में मनाया जाता है। 10 अक्टूबर अपने मन में मौजूद मानसिक व व्यक्तित्व विकारों को सक्रिय रूप से पहचानने का दिवस है, जिससे कि हमारा स्वस्थ्य व सुन्दर मानसिक पुनर्निमाण हो सके और आज विश्‍व-व्यापी महामारी का रूप ले रही मानसिक विकृतियों के फलस्वरूप अराजकता, हिंसा, आत्महत्या, अनैतिकता, संवेदनहीनता एवं आपराधिक प्रवित्तियों से कुरूप हो चुके तथा मानसिक बीमारियों से पीड़ित विश्‍व समाज स्वस्थ व खूबसूरत बन सके।आज समूचे विश्व की दो-तिहाई आबादी किसी न किसी प्रकार के व्यक्तित्व-विकार या मानसिक-विकृति से ग्रसित हो चुकी है, जिसकी परिणति अल्प, मध्यम व गम्भीर मानसिक रोगों के रूप में हो रही है।


एक निदानात्मक-शोध की रिपोर्ट मे इस तथ्य को उजागर किया गया है कि व्यक्तित्व-विकारों के प्रति अर्न्तदृष्टि की कमी लोगों को तेजी से मनोरोगी बना रही है।

पिछले एक वर्ष के दौरान किये गये इस शोध में 30 हजार मानसिक रोगियों में पहले से मौजूद व्यक्तित्व-विकार  तथा वर्तमान में उसके मानसिक रोगी होने के बीच 95 प्रतिशत विश्वसनीयता स्तर  पर प्रबल धनात्मक सह-सम्बन्ध  पाया गया। साथ ही अन्य 1.3 लाख उन लोगों पर, जो अभी मानसिक रोग की चपेट में नहीं आये हुए थे, पर हुए अग्रगामी-अध्ययन में पाया गया कि उनमें कुछ न कुछ व्यक्तित्व विकार कम या ज्यादा रूप में मौजूद है और वे अपने व्यक्तित्व विकार के बारे में पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। इस शोध में हर उम्र, लिंग व सामाजिक स्तर के लोग शामिल हैं।

  जैसे-जैसे भौतिकता और आधुनिकता बढ रही है वैसे-वैसे  लोगों में तनाव व चिंता भी तेजी से बढ रही है । इस चिंता व तनाव के कारण व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है ।जबसे कोरोना वायरस का प्रकोप बढा दिया तब से तो और भी खतरनाक स्थिति उत्पन्न हुई है । जो लोग इस महामारी के कारण बीमार हुए उनके मानसिक स्वास्थ्य में और भी गिरावट आई है ।जिन परिवारों ने अपने अनन्य लोगों को इस दौर में खो दिया उनकी मानसिक स्थिति और भी खराब हुई है ।जिन लोगों का नौकरी या रोजगार छिन गया ।जो मध्यम वर्ग या फिर सामान्य वर्ग के लोग हैं जो बढ़ती बेतहाशा मँहगाई से परेशान हैं ।ऐसे लोगों में भी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं देखने को मिल रही हैं ।        
मानसिक स्वास्थ्य से आशय यह है कि व्यक्ति में किसी भी तरह की मानसिक विकृति  न हो । वह किसी भी परिस्थिति में स्वस्थ समायोजन कर सके।
मानसिक रूप से  स्वस्थ व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत सारे गुण निहित होते हैं,जैसे कि -- सहजता,सृजनात्मकता,नवीन दृष्टिकोण,स्वस्थ हास परिहास ,स्वस्थ प्रतिक्रियाएं,समस्यायों को समझने की योग्यता,,निर्णय लेने की योग्यता,समाधानपरक दृष्टिकोण ,बेहतर जीवन की गुणवत्ता,सांवेगिक परिपक्वता,संवेदनशीलता,दूसरों के दृष्टिकोण को भी महसूस कर पाना,संवेगों पर प्रभावशाली नियन्त्रण,दूसरों के साथ शांतिपूर्ण संबंध,वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए रचनात्मक और सृजनात्मक योगदान।           

जो लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ या बीमार होते हैं उनके नैसर्गिक संवेग और स्वाभाविक क्रियांये बाधित होजाती हैं ,जैसे कि-- भूख,प्यास,नींद कम या अत्याधिक लगना,अकारण  हंसना ,बिना किसी कारण के अत्यधिक रोते रहना,हर समय बात-बात पर चिढना या चिड़चिड़ाना,जरूरत से ज्यादा बोलना,अकारण चुप हो जाना,निरर्थक संवाद , भूल जाना, हर समय विचार विमर्श में लगे रहना,अत्यधिक थकान महसूस करना, इत्यादि।
इनमें से यदि कोई भी लक्षण किसी भी व्यक्ति में बहुत दिन तक दिखाई दे तो उन्हें मानसिक परामर्शदाता के पास ले जाकर दिखा देना चाहिए ।     
  मानसिक स्वास्थ्य को  विशेष रूप से-व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य जब अच्छा होता है तब उसमें-चिंता,संघर्ष,विरोधाभास आदि नकारात्मक तत्व नहीं होते हैं ।जब किसी भी व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तब उसका निश्चित रूप से मानसिक स्वास्थ्य भी उत्तम होगा। जब कोई भी व्यक्ति वास्तविकता से हट कर कल्पना की दुनिया में विचरण करने लगता है तब ऊसमें धीरे-धीरे सान्वेगिक अनियन्त्रण,चिड़चिड़ापन आदि लक्षण विकसित होने लगते हैं । जब असामाजिक परिवेश होता है तब भी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य खराब होने लगता है । जब समय-समय पर स्वस्थ मनोरंजन की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होती हैं तब भी व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है ।                                             मानसिक बीमारियों से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि-हमेशा निरोधात्मक उपायों का उपयोग करना चाहिए ।कयोंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है । बचपन से ही उचित मातृत्व व पितृत्व देखरेख व्यक्ति को मिलना चाहिए । मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति में मता-पिता के अलावा शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है ।मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति के लिए-रचनात्मक कार्य,स्व संतुष्टि,समाजिक सरोकार में भागीदारी होना काफी लाभदायक है। निर्धनता अर्थात् निम्न सामाजिक- आर्थिक स्तर ,तलाक जैसी स्तिथितियों में अक्सर मानसिक अवसाद की स्थिति उत्पन्न होने लगती है ।ऐसी स्थितियों से बचने की जरूरत होती है । मानसिक रोगियों के साथ हमेशा सहानूभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए ।उनके साथ स्नेह और समाज व समुदाय के  मूल्यों के अनुरूप व्यवहार समाज के लोगों को करना चाहिए ।कभी-कभी उचित यौन शिक्षा न मिलने के कारण भी  व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में मतभेद उत्पन्न होने लगते हैं ।ऐसे लोगों के लिए यौन शिक्षा आवश्यक होती है ।इससे उनके मनोवृतियों में परिवर्तन करके उनके मूल्यों में परिवर्तन लाया जा सकता है ।

मूलभूत आवश्यकता इस बात की है कि हम मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझें और उस को बनाए रखने के लिए उसके संवर्धन के लिए प्रयास करें और अपने अंदर अपनी एक ऐसी कामना करें जिन लोगों के पास ऐसी कोई समस्या है जिसके कारण का मानसिक स्वास्थ्य खराब हो रहा है और वह शारीरिक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं तो उनके प्रति ऐसा माहौल तैयार करें कि वह अपनी अपनी समस्या को निर्भय होकर निसंकोच जो हमारे पास में सबसे बड़ी बाधा है इनके इलाज को लेकर है यह है कि लोग बहुत ज्यादा सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे और यह जो सामाजिक बाधा है इसके कारण मनोरोगी या मनो विकारों से ग्रस्त व्यक्ति अपनी परेशानियों का समाधान पा नहीं पाते हैं और उनकी समस्या ज्यों की त्यों रहती है । यंहा तक कि कई बार बहुत अधिक बढ़ जाती है ।
एक सरल उपाय यह भी है कि हम अपने अंदर एक लचीलापन विकसित करें और सभी तरह के जीवन के उतार-चढ़ाव को स्वीकार करें । सहज और सरल भाव से समस्याओं को स्वीकार करें और उनके समाधानो के लिए आगे आएं और समाधान के लिए विशेषज्ञों की सलाह ले अपनी मनमर्जी से दवाइयां ना खाएं और अपनी मनमर्जी से दवाइयों को बीच में छोड़ें नहीं ।

कुमुद  श्रीवास्तव 
  लखनऊ 

1         यदि     आप स्वैच्छिक दुनिया में अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहते है तो कृपया आवश्यक रूप से निम्नवत सहयोग करे :

a.    सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब चैनल Swaikshik Duniya को subscribe करके आप Screen Short  भेज दीजिये तथा

b.      फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Swaichhik-Duniya-322030988201974/?eid=ARALAGdf4Ly0x7K9jNSnbE9V9pG3YinAAPKXicP1m_Xg0e0a9AhFlZqcD-K0UYrLI0vPJT7tBuLXF3wE को फॉलो करे ताकि आपका प्रकाशित आलेख दिखाई दे सके

c.       आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।

d.      कृपया अपना पूर्ण विवरण नाम पता फ़ोन नंबर सहित भेजे

e.      यदि आप हमारे सदस्य है तो कृपया सदस्यता संख्या अवश्य लिखे ताकि हम आपका लेख प्राथमिकता से प्रकाशित कर सके क्योकि समाचार पत्र में हम सदस्यों की रचनाये ही प्रकाशित करते है

2         आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com पर भेजे और ध्यान दे कि लेख 500 शब्दों  से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

3         साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

4         अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्रति वर्ष भर भेजते रहेंगे,  परंतु डाक विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से आप तक हार्डकॉपी हुचने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। अतः जिस अंक में आपकी रचना प्रकाशित हुई है उसको कोरियर या रजिस्ट्री से प्राप्त करने के लिये आप रू 100/- का भुगतान करें