साहित्य, समाज सेवा और राजनीति के अनूठे सिपाही रामकुमार रानोलिया।

(माननीय राष्ट्रपति पर लिखी कविता से प्रभावित होकर भारत के प्रथम के व्यक्ति के भाई ने इनको विशेष निमंत्रण देकर सम्मानित किया है, जाट बाहुल्य गांव में एक गरीब कुम्हार दंपत्ति को यह मान मिलना गांव के इतिहास में अब तक एक रिकॉर्ड है । वर्ष 1994 के पंचायत चुनाव में पूरे गांव ने तय किया कि अब की बार रामकुमार रानोलिया को सरपंच बनाया जाएगा और उनके घर पर जाकर 200 आदमियों ने अपनी मनसा व मौखिक प्रस्ताव पारित  बारे रानोलिया जी को अवगत भी कर दिया था । और लगभग तय भी हो गया था कि अब रामकुमार रानोलिया ही अगले सरपंच होंगे । कविता लिखने का शौक बचपन से ही था वर्ष 1974 में नाइट कॉलेज दयानंद महाविद्यालय तथा दिन में एक लिपिक के रूप में एनसी जिंदल आई हॉस्पिटल में कार्य करते हुए उनकी पहली पुस्तक अपने ही दर्पण में छपी ।)


अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा रखने वाले लोग जो जनसेवा को भगवान का प्रसाद व आशीर्वाद मान कर निस्वार्थ भाव से नित्य करते रहते हैं,उन्हीं महानुभावों की कड़ी में एक व्यक्तित्व रामकुमार रानोलिया भी है । जिन्होंने गांव का विकास,अंधविश्वास का नाश के साथ समाज के धार्मिक,एवं सांस्कृतिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए स्वयं को समर्पित किया हुआ है । 14 फरवरी,वर्ष 1954 में गांव भेरी अकबरपुर के प्रजापति समाज में माता श्रीमती द्वारका देवी तथा पिता श्री तोखराम के घर जन्मे रामकुमार बचपन से ही विभिन्न सामाजिक व कार्यकलापों में शामिल होने की रूचि रखते रहे । अपने गांव में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करते वक्त उस जमाने में 1 वर्ष में एक ही कक्षा पास करने का नियम था परंतु इनकी प्रखर बुद्धि के आगे खंड शिक्षा विभाग ने नियम बदले और इन्हें 6 माह के अंदर ही कक्षा पास करने का अवसर प्रदान किया और उन्होंने चौथी पांचवी कक्षा एक ही साल 1964-65 में पास की । उकलाना मंडी से10वीं पास कर दयानंद महाविद्यालय हिसार में प्रि-यूनिवर्सिटी म़े दाखिल हुए । इसके अलावा नरवाना आईटीआई से कारपेंटर की ट्रेनिंग ली ।

 हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से मुर्गी पालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया । कॉलेज में एनसीसी की ट्रेनिंग में अपनी प्रतिभा दिखाई और निशानेबाजी में प्रथम स्थान प्राप्त किया । होमगार्ड के तहत भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी । वर्ष 1974 में एन.सी.जिंदल अस्पताल में लिपिक रहे और 1976 में जिला कुमार सभा हिसार का प्रथम गठन होने पर इन्हें सचिव चुना गया इनकी खूबसूरत लिखाई के कारण उसी दौरान मास्टर मिश्री लाल जी ने इन्हें अपने पास सहायक कलर्क /अतिरिक्त अध्यापक के रूप में सीनियर मॉडल स्कूल हिसार में नियुक्ति दिलाई । जिस वक्त समाज में कोई एमएलए नहीं था । उस समय इन्होंने समाज के लिए संघर्षरत प्रोफेसर स्व.परमानन्द जी,स्व.जयनारायण वर्मा जी के साथ मिलकर समाज को जागरूक किया । साथ ही कुम्हार धर्मशाला हिसार में स्थित सभा के कार्यालय मंत्री के रूप में स्थाई रुप से बैठ कर बेरोजगार युवकों का सही मार्ग दर्शन करके आगे बढ़ाया । सामाजिक झगड़ों को समाप्त करने के लिए सार्थक प्रयास किए । प्रयास सफल हुए और वर्ष 1977 में बरवाला विधानसभा से श्री जयनारायण वर्मा जी को जिताया यानि प्रथम प्रजापति विधायक हरियाणा बनाने में सफलता पाई । गांव पंचायत की मनमानी रोकने के लिए और सही कामों के प्रयास की प्रशंसा करने के लिए रानोलिया ने इसी वर्ष 1977 म़ें युवा ग्राम विकास समिति भेरीअकबर पुर का गठन किया । और पंचायत द्वारा किए गए गैर कानूनी कार्यों को न केवल उजागर किया बल्कि उन्हें दुरुस्त भी करवाया ।

 साल 1982 में इन्होंने बरवाला  विधानसभा का चुनाव बतौप्रभारीी उम्मीदवार लड़ा 11 उम्मीदवारों में यह मत संख्या के हिसाब से पांचवें नंबर पर रहे । वर्ष 1988 में पंजाब से हरियाणा की ओर फैले आ रहे उग्रवाद को रोकने के उद्देश्यार्थ हरियाणा सरकार के आदेश अनुसार हर गांव में शांति समितियों का गठन किया गया और श्री रानोलिया को भी भेरी अकबरपुर शांति समिति का प्रधान चुना गया । साक्षरता मिशन हिसार के द्वारा चलाए गए अक्षर आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया और केआरपी की ट्रेनिंग लेकर कला जत्था के माध्यम से विशेष प्रचार कार्य किया इसी कारण डी.ओ. हिसार के सानिध्य से तत्कालीन उपायुक्त हिसार श्री पी.डी.बिढान ने सी.वी.ए.स्कूल हिसार कार्यक्रम म़े बुलाकर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया । इनको कविता लिखने का शौक बचपन से ही था वर्ष 1974 में नाइट कॉलेज दयानंद महाविद्यालय तथा दिन में एक लिपिक के रूप में एनसी जिंदल आई हॉस्पिटल में कार्य करते हुए उनकी पहली पुस्तक अपने ही दर्पण में छपी । समकालीन कवियों श्री निर्दोषी हिसारी जी,भागीरथ जी जख्मी', सज्जन हिसारी जी,श्री चेतराम जी रहवर जी आदि अनेक कवियों के साथ कवि गोष्ठियों में भाग लेते रहे ।

घर की आर्थिक हालात दयनीय होने के कारण रामकुमार रानोलिया अधिक ना पढ़ सके और बी.ए.द्वितीय वर्ष में ही पढाई छोड़कर घर गुजारा चलाने हेतु विभिन्न संस्थाओं में नौकरी भी की । वर्ष 1984-85 में हिसार के बुद्धिजीवियों द्वारा श्री आत्माराम गोदारा की प्रधानता में "हरियाणा विकास समिति" का गठन किया गया । निर्दोष हिसारी जी के मार्गदर्शन में "लोक ध्वनि" नामक साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन भी शुरु हुआ जिसका इन्हें प्रतिनिधि बनाया गया । रानोलिया हमेशा जाति-पाति के विशेष विरोधी रहे हैं । सबको साथ लेकर चलना इनमें विशेष गुण रहा है ,इसी कारण वर्ष 1984-85 में रामकुमार रानोलिया तथा इनकी धर्मपत्नी श्रीमती हरिया देवी को, "मिनी बैंक प्रबंधक समिति" भेरीअकबर पुर का एक मुश्तराय से दोनों को सदस्य चुना गया । जाट बाहुल्य गांव में एक गरीब कुम्हार दंपत्ति को यह मान मिलना गांव के इतिहास में अब तक एक रिकॉर्ड है । वर्ष 1994 के पंचायत चुनाव में पूरे गांव ने तय किया कि अब की बार रामकुमार रानोलिया को सरपंच बनाया जाएगा और उनके घर पर जाकर 200 आदमियों ने अपनी मनसा व मौखिक प्रस्ताव पारित  बारे रानोलिया जी को अवगत भी कर दिया था । और लगभग तय भी हो गया था कि अब रामकुमार रानोलिया ही अगले सरपंच होंगे । परंतु ड्रा में सरपंच पद आरक्षण महिला के लिए आया । फिर भी गांव के लोग ना माने और उनकी धर्मपत्नी को भी पूरे समर्थन के साथ सरपंच चुन लिया गया और आज तक रामकुमार रानोलिया को सरपंच का ही सम्बोधन व सम्मान देते आ रहे हैं । उस दौरान रानोलिया सरपंच दंपत्ति द्वारा करवाए गए रिकॉर्ड तोड़ कार्यों ने न केवल गांव का नक्शा ही बदल दिया बल्कि काफी दबंग लोगों द्वारा दबाए गए कृषि और गैर कृषि क्षेत्रों को खाली भी करवाया गया ।

अभी पिछले वर्ष से आपने पूरा ध्यान अपनी कलम के साथ गांव की मूल कहानी कहिए या इतिहास,लिखना शुरू किया हुआ है । बहुत बड़ी जिम्मेदारी की बात है यह । हर बात को याद रखना समय के साथ तालमेल बनाकर उपयुक्त शब्दों के साथ लिखना यद्यपि कोई आसान काम नहीं है । परंतु रानोलिया ने आसान काम को चुना ही कब था ? -

संघर्ष का जीव है रानोलिया,और संघर्ष में ही जाएगा ।
जाने से पहले जमाने को,कुछ नया अवश्य दे जाएगा ।

1         यदि     आप स्वैच्छिक दुनिया में अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहते है तो कृपया आवश्यक रूप से निम्नवत सहयोग करे :

a.    सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब चैनल Swaikshik Duniya को subscribe करके आप Screen Short  भेज दीजिये तथा

b.      फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Swaichhik-Duniya-322030988201974/?eid=ARALAGdf4Ly0x7K9jNSnbE9V9pG3YinAAPKXicP1m_Xg0e0a9AhFlZqcD-K0UYrLI0vPJT7tBuLXF3wE को फॉलो करे ताकि आपका प्रकाशित आलेख दिखाई दे सके

c.       आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।

d.      कृपया अपना पूर्ण विवरण नाम पता फ़ोन नंबर सहित भेजे

e.      यदि आप हमारे सदस्य है तो कृपया सदस्यता संख्या अवश्य लिखे ताकि हम आपका लेख प्राथमिकता से प्रकाशित कर सके क्योकि समाचार पत्र में हम सदस्यों की रचनाये ही प्रकाशित करते है

2         आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com पर भेजे और ध्यान दे कि लेख 500 शब्दों  से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

3         साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

4         अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्रति वर्ष भर भेजते रहेंगे,  परंतु डाक विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से आप तक हार्डकॉपी हुचने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। अतः जिस अंक में आपकी रचना प्रकाशित हुई है उसको कोरियर या रजिस्ट्री से प्राप्त करने के लिये आप रू 100/- का भुगतान करें