प्रशंसा हर व्यक्ति को, अति मन-भावन लगता है!.
तप्त जेठ प्रशंसा शब्द सुन, सुंदर सावन लगता है!!.
सुन प्रशंसा शुष्क मन, सुमन-बाग खिल जाता है!.
दुखी हृदय को भी, मानो स्वर्ग सुख मिल जाता है!!.
तुम तो सिर्फ एक मित्र नहीं, ह्रदय में मेरे रहते हो!.
हर धड़कन के साथ रगों में, लहू रूप में बहते हो!!.
स्व-हृदय प्रशंसा कर, मैं जिल्लत नहीं उठाऊँगा!.
ऐ दोस्त मेरे हरगिज तेरी,तारीफ नहीं कर पाऊँगा!!.
हृदय अंकुरित मित्र स्नेह को, प्रेम से हमने पाला है!.
प्यार-नीर से सींच इसे, तरु-विशाल कर डाला है!!.
शीतल छाँव में बैठ वृक्ष के, पवन आनंद उठाते हैं!.
मन हर्षित हो जाता,जब पंछी मीठे तान सुनाते हैं!!.
मित्रवृक्ष पुष्पित हो कर, अब मीठे फल भी देते हैं!.
मधुर स्वाद लेते पंछी गण, मन को भी हर लेत है!!.
दिल में संचित प्यार बाँट मैं, घाटा नहीं उठाऊँगा!.
ऐ दोस्त मेरे हरगिज तेरी,तारीफ नहीं कर पाऊँगा!!.
प्रशंसा-प्रयास किये तो, जिह्वा ही रुक जाती है!.
हृदय बसी मूरत की झटपट, याद दिला जाती है!!.
लेखन का प्रयास करूँ, तो कलम न आगे बढ़ती है!.
हृदय संचित प्रेम स्नेह को,वह भी शायद पढ़ती है!!.
जमा स्नेह संचयन में बेचारी, मदद हमारी करती है!.
इसी लिए तो जान बूझ कर,इतना नखरे करती है!!.
इस प्यारी कलम-विरुद्ध, मैं कभी नहीं जा पाऊँगा!.
ऐ दोस्त मेरे हरगिज तेरी, तारीफ नहीं कर पाउँगा!!.
दिल में तेरा प्यार यार, शिखर हिमालय सा ऊँचा है!.
इस कद का संपूर्ण जगत में, और न कोई दूजा है!!.
हिम आलेपित प्रेम शिखर से, ऐसी ठंडक आती है!.
तपती गर्मी से तप्त मन में, शीतलता भर जाती हैं!!.
ईर्ष्या-गर्मी प्रेम-हिम को, पिघलाने का प्रयास करे!.
नीर बना नीचे लाने का, हर संभव अभ्यास करे!!.
ईर्ष्या-तपन से स्नेह-हिम को, सदैव मैं बचाऊंगा!.
पर दोस्त मेरे हरगिज तेरी,तारीफ नहीं कर पाउँगा!!.
मिले अनेकों लोग मुझे, तुम से प्यार जो करते हैं!.
छवि बसा निज हृदय बीच,ईश्वर सी पूजा करते हैं!!.
आदर्श मान तुमको, बहुतों ने अथक प्रयास किया!.
दृढ़-निश्चय प्रयास से, मनचाही मंजिल प्राप्त किया!!
आज कठिन प्रयास का, सु-मधुर आनंद वे लेते हैं!.
एकलव्य सा सारा श्रेय, निज गुरु को ही वे देते हैं!!.
ऐसे शिष्य मिले तो, हर्षित हृदय से उन्हें लगाऊँगा!.
पर दोस्त मेरे हरगिज तेरी,तारीफ नहीं कर पाउँगा!!.
ईश्वर करे मुसीबत तेरे, पास कभी ना आ पाये!.
रोग व्याधि सारी बलायें, देख दूर से वापस जायें!!.
तुम सदा प्रसन्न रहो, उत्तरोत्तर उन्नति करते जाओ!.
नवीन लक्ष्य प्राप्ति हेतु, नई सीढ़ियां चढ़ते जाओ!!.
नए लक्ष्य पर रुको नहीं, नवीनतम का ज्ञान करो!.
प्रत्यंचा पर तीर चढ़ाओ, नया लक्ष्य संधान करो!!.
तुम पर आफत आयेगी तो, मैं जान भी लड़ाऊंगा!.
पर दोस्त मेरे हरगिज तेरी,तारीफ नहीं कर पाउँगा!!.
जे.एस.यादव
a. सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब
b. फेसबुक पेज https://www.facebook.com/
c. आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।
d. कृपया अपना पूर्ण विवरण
e. यदि आप हमारे सदस्य है
2 आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com
3 साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधि, ब्यूरो चीफ, रिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।
4 अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्र