तमसा की बाढ़ और अफसरों की उपेक्षा से बेरौनक हुआ पार्क


( स्वैच्छिक दुनिया ) अंबेडकरनगर :- तमसा नदी की बाढ़ व उपेक्षा की मार ने अकबरपुर नगर के राजकीय पार्क की रौनक गायब कर दी है। हालत यह है कि पार्क में लगे ज्यादातर खूबसूरत पौधे व पेड़ पूरी तरह सूख चुके हैं। सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं तो वहीं झूले बिगड़े पड़े हैं। पार्क की शोभा बढ़ाने के लिए लगा रंगीन फौव्वारा भी बिगड़ने के चलते बंद पड़ा है। पार्क में पैडल बोट की सुविधा भी वर्षों से ठप है। नतीजा यह है कि इन दिनों पार्क पहुंच रहे नागरिकों को तगड़ा झटका लग रहा है। खासतौर पर बच्चों व महिलाओं को ज्यादा निराशा हो रही है। परिवार के साथ पहुंचने वाले नागरिक यहां की मौजूदा दशा देेख व्यथित होकर वापस लौट रहे। तमाम उम्मीद लेकर पहुंचे बच्चों के लिए यहां के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। नागरिकों ने प्रशासन से अविलंब जरूरी सुविधाएं बहाल करवाने पर जोर दिया है। कहा गया कि वरिष्ठ अधिकारियों को मौके का स्थलीय निरीक्षण करने की जरूरत है।29 सितंबर 1995 को अंबेडकरनगर जनपद का गठन करने के बाद बसपा सरकार ने जिला मुख्यालय को राजकीय पार्क की सौगात दी थी। अकबरपुर नगर के अयोध्या मार्ग पर ईदगाह व तमसा नदी के निकट भव्य पार्क का निर्माण कराया गया था। इसके बाद से ही यह पार्क बच्चों व आम नागरिकों के मनोरंजन का केंद्र बन गया। यहां न सिर्फ अकबरपुर नगर व आसपास वरन दूर दराज के कस्बों व गांवों के भी नागरिक पहुंचते रहे हैं। खास मौकों पर यहां भारी भीड़ जुटती है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से पार्क को लेकर बरती जा रही उपेक्षा तथा तथा बीते दिनों तमसा नदी में आई अभूतपूर्व बाढ़ ने पार्क की तमाम रौनक ही गायब कर दी।

तमसा नदी में आई बाढ़ के चलते इस बार पार्क में डेढ़ मीटर से भी ऊपर तक पानी पहुंच गया। यह पानी लगभग तीन सप्ताह से अधिक समय तक पार्क में बना रहा। नतीजा यह हुआ कि तमाम तरह के खूबसूरत फूल पौधे सूख गए। पार्क में लगे तमाम सजावटी पेड़ भी पानी की भेंट चढ़ गए। पानी पार्क में भर जाने का असर यह हुआ कि पार्क के ज्यादातर पेड़-पौधे सूख गए। ऐसे में पानी हटने के बाद से स्थिति अत्यंत बदतर हो गई। पार्क पहुंच रहे नागरिकों को चारों तरफ सूखे पेड़, बदहाल पार्क ही दिखाई पड़ रहा है। हालात यह है कि जो भी नागरिक अपने परिवार के साथ पहुंच रहे हैं उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ता है। सबसे ज्यादा निराशा बच्चों व महिलाओं को हो रही है। न तो उन्हें खूबसूरत फूल पौधे देखने को मिल रहे और न ही झूला आदि का लाभ मिल पा रहा। कारण यह है कि पार्क के एक हिस्से में लगे तमाम झूले क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

फौव्वारा और पैडल बोट भी खराब

पार्क में वर्षों पहले तत्कालीन जिला प्रशासन के प्रयासों से एनटीपीसी ने रंगीन फौव्वारे का निर्माण कराया था। यहां कई वर्षों तक यह फौव्वारा नागरिकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। हालांकि समय बीतने के साथ रखरखाव के अभाव में यह फौव्वारा भी खराब हो गया। मौजूदा समय में यह फौव्वारा पूरी तरह ठप पड़ गया है। पार्क के एक किनारे प्रशासन ने झील का निर्माण कराया था। इसमें एनटीपीसी के सहयोग से दो पैडल बोट चलाई जा रही थीं। पार्क आने वाले बच्चे व अन्य नागरिक इसका लाभ उठा रहे थे। बाद में यह दोनों बोट भी क्षतिग्रस्त हो गई। पिछले करीब पांच वर्ष से झील का पानी सूख गया है जबकि दोनों पैडल बोट का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो चुका है। नागरिकों ने फिर से दोनों सुविधाएं बहाल किए जाने की जरूरत पर जोर दिया है।

डीएम ने गठित की तीन सदस्यीय कमेटी

डीएम सैमुअल पॉल एन ने तमसा नदी की बाढ़ से पार्क पर पड़े प्रतिकूल असर को देखते हुए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में जिला उद्यान अधिकारी, भूमि सरंक्षण अधिकारी व एक कृषि वैज्ञानिक को शामिल किया गया है। कमेटी को निर्देश दिया गया है कि बाढ़ से पार्क को होने वाले नुकसान का जायजा लेकर विस्तृत रिपोर्ट प्रदान की जाए। उम्मीद की जा रही है। कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद तमाम जरूरी कार्यों के लिए जिला प्रशासन की संस्तुति मिल सकेगी, इससे उद्यान निदेशालय से पार्क में फिर से रौनक वापस लाने के लिए जरूरी राशि का आवंटन हो सकेेगा।


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