पर्पल पेन समूह द्वारा 'सुगंधा' काव्य गोष्ठी का आयोजन

( स्वैच्छिक दुनिया ) नई दिल्ली :- पर्पल पेन  साहित्यिक समूह द्वारा लोधी गार्डन्स में 'सुगंधा' काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। दिल्ली/एनसीआर से सर्व श्री/सुश्री रेखा जोशी, मीनाक्षी भटनागर, गीता भाटिया, रजनी रामदेव, डाॅ. पुष्पलता भट्ट, मिलन सिंह 'मधुर', जगदीश मीणा, जावेद अब्बासी और आरिफ़ देहवली सहित पर्पल पेन की संस्थापक-अध्यक्ष वसुधा 'कनुप्रिया' ने एक से बढ़कर एक कविताएँ प्रस्तुत कीं जिनका रसास्वादन श्रोता कविगण के साथ लोधी गार्डन घूमने आए लोगों ने किया। कुछ विदेशी पर्यटकों ने भी उत्सुकतावश कविता पाठ सुना। बहुत से श्रोताओं ने  वीडियो रिकार्डिंग भी की ।


कोविड वैश्विक महामारी के लगभग नियंत्रण में आने के पश्चात 14 अगस्त को भी पर्पल पेन द्वारा 'वंदे भारत' गोष्ठी 'प्रेस क्लब ऑफ़ इन्डिया' में  कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित की गई थी। इसी श्रंखला में 'सुगंधा' गोष्ठी का आयोजन हरियाली से समृद्ध, ऐतिहासिक लोधी गार्डन्स में करना कविगण और श्रोताओं को विशेष रूप से पसंद आया।

"जूझते कठिनाइयों से पार जीवन आ रहा 
फिर जुटे लोगों के' मेले फिर हिय हर्षा रहा  
मिल रहे हैं आज अरसे बाद हम सब झूम कर 
पार्क लोधी में सुखन है काव्य रस छलका रहा"

अपनी इन पंक्तियों के साथ वसुधा 'कनुप्रिया' ने अपना स्वागत वक्तव्य शुरु किया।

'युद्ध' विषय पर सुश्री मीनाक्षी भटनागर ने विचारोत्तेजक कविता प्रस्तुत की --
"युद्ध के...दरमियाँ होकर गुज़रते
वे अंसख्य असह्य पल
दुखों से लबरेज़/पीड़ा का समंदर
अनाथ होते बच्चे
वेदना का दस्तावेज/बनती औरतें...
युद्ध सिर्फ़ जीत और हार नहीं होते!"

अपनी दार्शनिक रचना के माध्यम से सुश्री रजनी रामदेव ने समय पर कुछ यूँ कहा --
"समय ने तूणीर थामी, घाव गहरा सा किया
समय ने संजीवनी बन, दान जीवन भी दिया"

सुश्री गीता भाटिया की आशावादी कविता श्रोताओं को सकारात्मकता से भर गई --
"छायेंगे घनघोर बादल
पर छटेंगे एक दिन
आसमां उनका ही होगा
जो उड़ेंगे एक दिन"

"खुद की बेटी रात डिस्को से भी आए देर तक
जब बहू चाहें तो चाहें संस्कारी आजकल" -- लोगों के दोगलेपन पर प्रहार करता श्री जगदीश मीणा का यह शेर बहुत पसंद किया गया।

सुश्री मिलन सिंह 'मधुर' ने अपने सुमधुर स्वर में  एक गीत प्रस्तुत किया। डाॅ. पुष्पलता भट्ट की वीर जवान और उनके परिवारजन पर प्रस्तुत मार्मिक कविता सभी के मन को द्रवित कर गई। शायर आरिफ़ देहलवी और जावेद अब्बासी ने तरन्नुम में शानदार ग़ज़लें पेश कर ख़ूब वाह-वाही बटोरी।

"बहुत मग़रूर हो कर ये हवाएँ चल रही हैं 
मगर शाख़ों पे फिर भी मुस्कुराते गुल खिले हैं" -- गोष्ठी की संयोजक एवं संचालक वसुधा 'कनुप्रिया' के मुक्तक और ग़ज़लों को भी बेहद पसंद किया गया।

पर्पल पेन काव्य गोष्ठी 'सुगंधा' में मुक्त छंद कविता, मुक्तक, दोहे, गीतिका, ग़ज़ल की काव्य रसधार ने लोधी गार्डन्स के प्राकृतिक सौंदर्य को दोगुना कर दिया । गोष्ठी का समापन वसुधा कनुप्रिया' के धन्यवाद ज्ञापन और जलपान से हुआ।

कलरव करते पाखी, खेलते-कूदते बच्चे, बेफिक्र घूमते युगल, गीत-संगीत की स्वर लहरी, पिकनिक मनाते परिवार --  लाॅकडाउन के दुर्दिनों के पश्चात जीवन को पटरी पर लौटते देख कविगण बहुत भावुक और प्रसन्न दिखे।

1         यदि     आप स्वैच्छिक दुनिया में अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहते है तो कृपया आवश्यक रूप से निम्नवत सहयोग करे :

a.    सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब चैनल Swaikshik Duniya को subscribe करके आप Screen Short  भेज दीजिये तथा

b.      फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Swaichhik-Duniya-322030988201974/?eid=ARALAGdf4Ly0x7K9jNSnbE9V9pG3YinAAPKXicP1m_Xg0e0a9AhFlZqcD-K0UYrLI0vPJT7tBuLXF3wE को फॉलो करे ताकि आपका प्रकाशित आलेख दिखाई दे सके

c.       आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।

d.      कृपया अपना पूर्ण विवरण नाम पता फ़ोन नंबर सहित भेजे

e.      यदि आप हमारे सदस्य है तो कृपया सदस्यता संख्या अवश्य लिखे ताकि हम आपका लेख प्राथमिकता से प्रकाशित कर सके क्योकि समाचार पत्र में हम सदस्यों की रचनाये ही प्रकाशित करते है

2         आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com पर भेजे और ध्यान दे कि लेख 500 शब्दों  से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

3         साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

4         अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्रति वर्ष भर भेजते रहेंगे,  परंतु डाक विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से आप तक हार्डकॉपी हुचने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। अतः जिस अंक में आपकी रचना प्रकाशित हुई है उसको कोरियर या रजिस्ट्री से प्राप्त करने के लिये आप रू 100/- का भुगतान करें