हिंदी और गोलगप्पा !!

मैं आपसे सौ प्रतिशत सहमत हूं। इस देश में हिंदी गोलगप्पा ही है । केवल एक पखवाड़े की भाषा । वह भाषा जिसे देश में कोई बोलना नही चाहता । जिसमें कोई न पढ़ना चाहता है , न पढाना । दरिद्रता की भाषा , शर्म की भाषा , लाचारों की भाषा , बेचारों की भाषा ।हिंदी वर्जन फॉलोज का देश है यह , और वह हिंदी वर्जन आता रह जाता है । हिंदी भाषी क्षेत्रों तक में हिंदी,  स्कूलों में विषय के रूप में बस कक्षा आठ तक ही है । कक्षा नौ से वैकल्पिक हो जाती है । जब हिंदी भाषी क्षेत्रों का हाल यह है तो हिंदीत्तर की स्थिति क्या होगी । हिंदी माध्यम तो लुप्त हो गया है । अपनी भाषा में शिक्षा अब पूरे देश में समाप्त ।

एक दो तीन चार हमारे बच्चों के लिए रॉकेट साइंस हो गया है जबकि वन टू थ्री फोर वे नींद में भी बड़बड़ा ले रहे हैं । माताएं अ से अनार के स्थान पर दुधमुंहों के मुंह में ए फॉर एप्पल घोलने में असीम आनंद का अनुभव कर रहीं हैं । हिंदी को तो हम बच्चों से बचपन में ही दूर कर दे रहे हैं , यौवन कैसे पाएगी हिंदी , गोलगप्पा ही बनकर रह जाएगी ना हिंदी । 

(डॉक्टर साहब ने चार्टर विमान में बैठकर गोलगप्पा खाकर दिखाया कि हिंदी विमान में सफर कर रही है , क्षमा के साथ और अत्यंत विनम्रता के साथ कह दूं आदरणीय , हिंदी नही केवल आप सफर कर रहे हैं विमान में । )

महोदय ! आपने हिंदी का घनघोर सम्मान किया परंतु पूरे देश में कहीं कोई नही सुलगा , कोई रोड पर नही आया , कोई प्रदर्शन , कोई कैंडल मार्च नही हुआ । देखा आपने, 
हिंदी गोलगप्पा ही है । 

अब दो टूक सुनिए महोदय ! 

समय आ गया है आदरणीय अमित शाह जी कि इस देश में तत्काल प्रभाव से द्विभाषा फॉर्मूला लागू किया जाए । क्षेत्रीय भाषा और हिंदी । अंग्रेजी को देश से बाहर का रास्ता दिखाने का समय आ गया है । एक विषय , एक भाषा के रूप में रहे अंग्रेजी पर राजभाषा के रूप में कतई नही । पूरे देश में कक्षा एक से कक्षा दस तक एक विषय के रूप में हिंदी अनिवार्य हो । पूरे देश में सभी क्षेत्रीय भाषाओं में से एक भाषा भी विषय के रूप में अनिवार्य हो । समय आ गया है हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं को समुचित रूप से उनका स्थान देने का । उधार की भाषा से न तो मानसिक उन्नति हो सकती है न ही भौतिक ।

अंत में महोदय ! 
तमिल का सम्मान कीजिए , अच्छी बात है , अम्मा जी प्रसन्न होंगी आपकी । परंतु बहुसंख्यकों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी को गोलगप्पा मत बनाइए । ऐसा न हो आपका डब्बा गोल हो जाय ।


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