ग़ज़ल
शरारतों  से  भरी  कज  अदा भी  खूब रही। शिकायतों में भी शामिल वफ़ा भी खूब रही। बदल के रख दिया अंदाज़ सब के जीने का, जहां  में आई  करोना   वबा  भी  खूब  रही।   हरी भरी  नहीं  होती   शजर  बिना  हरगिज़, ज़मीं के तन  पे यूँ धानी  कबा भी खूब रही। असर न जिसका वबा पर कहीं ज़राभीहुआ, बनाई बाबा  की आखिर  दवा…
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परीक्षा
हाय राम! आ गई परीक्षा। टन-टन,टनक रहा है स्टूडेंट का खोपड़ा, लूटा बंग्लें का ख्वाब सच्चाई का झोपड़ा, साहस मरा; मरी इच्छा। सिर्फ बंदी में बीता पूरा साल, अब सिर खुजलाआे नोंचो गोरे गाल, कैसी अलोचना? कैसी समीक्षा। चढ़ी-चढ़ी आंखें भन्नाई अक्ल, देखते बनती है शीशे मे शक्ल, दबी-दबी चाह; उभरी हुई अनिच्छा। न …
युही नही कोई मर्द कहलाता हैं !
दिन -रात बिना थके बिना रुके कार्य करता हैं वो, चाहे धूप हो बरसात कभी नही आराम करता हैं वो, बीमार हो या भूखा हो कभी उफ्फ तक नहीं करता हैं वो , परिवार के खुशियों के ख़ातिर अपना गम भूल जाता हैं वो,  कितनी भी परेशानी हो किसी से कुछ नही कहता हैं , चुप-चाप रातों के अंधेरों में युही आहे भरता हैं , हर-पल वह…
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जीवन का आधार
हमारा पर्यावरण ही हमारे जीवन का आधार है, इसके बिना जीवन की कल्पना तो  निराधार है , हवा ,पानी ,मिट्टी जो बनाते जीवन को खुशहाल , इसके बिना कुछ न जीवन में जीना होगा बेहाल , हर एक की जिम्मेदारी इसको सुरक्षित रखना है , वृक्ष लगाकर अपनी धरा का श्रृंगार हमें करना है , हमारा पर्यावरण ही हमारे जीवन का आधा…
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