तेरे मायके जाने के बाद।
तेरे मायके जाने के बाद, पूरा घर एक कोने में सिमट के रह गया है सीडीया ऊपर जाने वाली ऊपर नहीं जाती, नीचे आने वाली, नीचे नहीं आती, यूं तो बिस्तर डबल बेड का है, पर सिकुड़कर एक तरफ ही रह गया, वह खिड़की के पर्दे जिनके रंग रंग खुशनुमा और रंगीले हुआ करते, आज वो सिमटे हुए सादे और सफेद रंग के सपाट दिखाई देते …
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ग़ज़ल
अरकान-मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन धोखा चमक दमक से उजाले का खा गए। देखा जो  ग़ौर  से  तो  अंधेरे  में  आ  गए।। दुनिया को मुंह दिखाने के क़ाबिल न रह सके। हमको हमारे शौक़  ही  ये दिन दिखा गए।। तहज़ीब  के  ये  रंग   भरे  दौर  क्या  कहें। ख़ुद आज हमको अपनी नज़र से गिरा गए।। नादान हम थे कितने की सब कुछ लुटा द…
शिवदर्शी हो जाऊं.....
मन में बसा के त्रिकाल दर्शी को, शिवदर्शी हो जाऊं.. विश्वनाथ के दर्शन कर काशी हो जाऊं... उसके कंठ में लिपट नागेश्वर बन जाऊं... उसके चरणों मे अर्पण हो वो पुष्प बन जाऊं.... उसके डमरू के स्वरों की धारा बन जाऊं...  उसके विष की भांति, लोगों कि  सहायता कर असाधारण बन जाऊं... नीलकंठ को अंतर्मन में बसा कर उज…
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बेटी-दैवीय अवतार
छोटी बिटिया गुड़िया जैसी,देवी-सी लगती है। बेटी से ही सबकी क़िस्मत,फूलों से सजती है।। बेटी तो है जग की शोभा, घर का एक खिलौना आकर्षण जिससे दुनिया का, महके घर का कोना बेटी से ही संस्कार हैं,नैतिकता खिलती है। बेटी से ही सबकी क़िस्मत,फूलों से सजती है।। बेटी बहना है,पत्नी है, है वह नेहिल नारी बेटी बिन तो…
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