एक चादर
बस एक चादर सी बन बिछती रही सदा तेरे लिए, कभी मन से, कभी बेमन सी, ना जाना कभी तुने मेरे अहसासों को, मेरे दिल में पनाह लेते अरमानों को। लाल, पीली, हरी , नीली रंग जानकर आए तुम पास मेरे, खद्दर, सिल्क, रेयान, काॅटन कभी लिनन जान तुमने सहलाया मुझे,मेरा अपना क्या वजूद ये तो कभी भी जान ना पाए तुम, क्या रंग…