धर्मांधता से कब बाहर निकलेगा समाज
क्यूँ पढ़े लिखे लोग भी तथाकथित बाबाओं के बहकावे में आ जाते है? क्यूँ ये नहीं सोचते की नियति ने जो लिखा होगा आपके भाग्य में वो होकर रहेगा। ज़िंदगी परेशानी और तकलीफ़ों का नाम है। तकलीफ़ से घबरा कर ज्योतिष और बाबाओं के शरण में जाकर झूठे विधि विधान में पड़कर ऐसे पाखंडियों को बढ़ावा देते हो जिनको खुद अपन…