ग़ज़ल
लहर दर्दो ग़म की गुज़रने दो यारों। समन्दर ग़मों का सिमटने दो यारों। मुहब्बतको पलपल बिखरने दो यारों। अभी प्यार को और बढ़ने दो यारों। रखो भावनाओं को काबू में अपनी, क़दम भूल कर मत बहकने दो यारों। कतर कर परों को न पिंजड़े में डालो, खुले में परिन्दे चहकने दो यारों। ज़मीं चाहती …