ग़ज़ल
लहर  दर्दो  ग़म की  गुज़रने  दो यारों। समन्दर  ग़मों  का  सिमटने  दो यारों। मुहब्बतको पलपल बिखरने दो यारों। अभी  प्यार  को  और बढ़ने  दो यारों। रखो  भावनाओं   को काबू में अपनी, क़दम भूल कर मत  बहकने दो यारों। कतर कर परों को न पिंजड़े  में डालो, खुले  में   परिन्दे   चहकने   दो  यारों। ज़मीं  चाहती …
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स्वदेशी
स्वदेशी का मान सम्मान  हो।। सीखना होगा, खरीदना होगा । स्वदेशी वस्तुओं  को घर घर पहुंचना होगा। स्वच्छता ,शुद्धता का माप दंड समझाना होगा। सब से पहले हम स्वदेशी है, अपने को समझाना होगा। प्रारम्भ घर से हो कर घर घर तक आंदोलन लाना होगा नहीं है कठिन बस जज्बे हिम्मत को जगाना होगा भटके राही को  उनके असली मं…
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आज भी बिहार को बाहरी रोटी की दरकार क्यों..?
डेढ़ दशक से अधिक से विकास के ढिंढोरा पीटने वाली तथाकथित डबल इंजन की सरकार बिहार वासियों को बिहार के अंदर रोजगार छोड़िए दोनों वक्त के निवाला उपलब्ध करवाने में कामयाब होती नहीं दिख रही है।त्योहारों के मौसम में आज भी राज्य के बाहर से आने वाले बिहारी मेहनतकश कामगारों को देश की प्रमुख शहरों से खुलने वाल…
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