जियो और जीने दो
जियो और जीने दो में ही,जीवन का सम्मान है। सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।। वक़्त कह रहा है हमसे, नैतिकता भी करे पुकार जागो भाई कुछ अब तो, करो न मानवता शर्मसार प्रेम,नेह,करुणा से ही तो,मानव बने महान है। सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।। दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर, जो देता है सम्बल पेट…
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बेइन्तहाँ इश्क
"तुम्हें देखते ही जानाँ खिलकर बहार हो जाऊँ, दूरियों पर बिरहन बन तेरे इंतज़ार में दर्द का पहाड़ बन जाऊँ" ओए अंशू बेबी ये देख शायरी बन गई, कैसी लगी बता ना? शैली यार फ़ालतू में क्यूँ दिमाग का दहीं कर रही हो, तुझे छोड़ कर मैं अब कहीं नहीं जाने वाला so plz बाबू ख़याल भी मत लाना की हम कभी जुदा ह…
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पत्रकारिता का वर्तमान परिदृश्य
खींचो न कमान न तलवार निकालो  जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो' मनुष्य प्रारंभ से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है। प्रत्येक घटनाओं, सूचनाओं को जानने के साथ उसे किस प्रकार क्रियान्वित किया जाए। यही जानने की जिज्ञासा सदैव मन में रहती है। इसके लिए नारद मुनि ने सर्वप्रथम मौखिक रूप में पत्रकारिता के…
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