सिलसिला
मोहब्बत का सिलसिला थम सा गया है। नफरतों का सिलसिला बढ़ सा गया है। सोचा था जी नहीं सकेंगे तुम्हारे बिन। मगर जीवन का सिलसिला बढ़ सा गया । फिर सोचा चलो जीवन की एक नई शुरुआत करते। मगर बनावटी ख्वाबों का सिलसिला बढ़ सा गया। फिर सोचा चलो बनावटी ख्वाबों के सहारे ही जीवन जी लेते है मगर तन्हाई का सिलसिला फिर स…