सिलसिला
मोहब्बत का सिलसिला थम सा गया है। नफरतों का सिलसिला बढ़ सा गया है। सोचा था जी नहीं सकेंगे तुम्हारे बिन। मगर जीवन का सिलसिला बढ़ सा गया । फिर सोचा चलो जीवन की एक नई शुरुआत करते। मगर बनावटी ख्वाबों का सिलसिला बढ़ सा गया। फिर सोचा चलो बनावटी ख्वाबों के सहारे ही जीवन जी लेते है मगर तन्हाई का सिलसिला फिर स…
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मानव जीवन में साहित्य का योगदान
मनुष्य के हाथ में अपना जन्म तो नहीं होता है।पर जन्म लेने के बाद अपना जीवन जीना तो उसके हाथ में होता है। अच्छा जीवन जीने के लिए उसे क्या करना होगा? इस प्रश्न की तह में जायेंगे।तो हम पायेंगे की हमें अच्छा साहित्य पढ़ने की जरूरत है। साहित्य पढ़ने से काफी कुछ बातें जानने व समझने को मिलती है।कहा भी जाता…
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यदि हम सभी अपने कर्तव्यों का सावधानीपूर्वक पालन करते हैं तो हम निश्चित रूप से संभावनाओं के पथ पर हैं
स्वैच्छिक दुनिया :- लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय के द्वारा दो दिवसीय "4th डॉ. आर. यू. सिंह मेमोरियल नेशनल लेवल वर्चुअल लिट्रेरी इवेंट 2021" का आयोजन किया गया|समापन समारोह मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाई कोर्ट के माननीय न्यायधीश मनीष कुमार , विधि संकाय के प्रमुख व डीन प्रो. सी. पी. सिंह, सम्…
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