फ़िज़ा में चमकता सितारा न देखा
फ़िज़ा में चमकता सितारा न देखा कभी  दर्द  उसने   हमारा  न  देखा सभी  काटते  है यहाँ पे शज़र को तभी अब बशर में किनारा न देखा तेरा क्यों बुराई से होगा भला अब भलाई  से  हमने  गुज़ारा  न देखा गुमाँ भाईचारे  का सबको यहाँ था यूं  पहले  सरीखा  नज़ारा  न देखा रिहा आँखों से जबसे हमने किया तो गया  छोड़कर  अब  दुबा…
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संस्कार प्रभा के नन्हे मुन्नों ने जमाया गुरु पूर्णिमा पर रंग
( स्वैच्छिक दुनिया )  :-  गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में संस्कार प्रभा ने रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया, ये कार्यक्रम आभासी था और नन्हे मुन्ने बच्चों ने एक से बढ़ कर एक अद्भुत प्रस्तुतियाँ दीं। इस कार्यक्रम का सुंदर संयोजन पुष्पा अवस्थी "स्वाती" (मुम्बई) द्वारा हुआ। कार्यक्रम का आरम्भ पीहू …
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वर्षा आई धरती मुस्काई
झमझम करती बारिश आई  मुरझाई फसलों में जान आई । धीरे से  बरसे  बादल  घनघोर  कल-कल  करती नदियां आई ।। मन पुरवाई सजन घर आई  मेंढ़क टर्र-टर्र कर नाचे भाई।  कोयल कूं - कूं कर दे रही ये  संदेश वर्षा से धरती मुस्काई ।। मौसम ने ली देखो अंगडाई  सबके चेहरे पर रौनक आई ।  खेतों में चहुंओर है हरियाली  तितलियां उ…
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ग़ज़ल
बाढ़  में  डूबे   हुए  घर  नहीं  देखे जाते। तर ब तर आज के मंज़र नहीं देखे जाते। सख्त  सरकार  के तेवर  नहीं देखे जाते। सर पे लटके  हुए ख़ंजर नहीं  देखे जाते। खु़श्क से  जाम व सागर नहीं देखे जाते। इतने  ग़मगीन से मंज़र  नहीं देखे  जाते। घर के होते हुए भी लोग पड़े सड़कों पर, काँपते आज वो थर थर नहीं दे…
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