सच्ची श्राद्ध
जीते जी सेवा किया नहीं, बस मरने पर श्राद्ध मनाते हैं। ऐसी संताने हैं कुल कलंक , मृत पुरखों को बहलाते हैं । यदि देनी सच्ची श्रद्धांजलि , है प्यारे पुरखों को अपने । तब धर्म करो सत्कर्म करो , अरु पूर्ण करो उनके सपने । यह वन्दन है अभिनंदन है , यह ही पुरखों का है तर्पण । उनकी स्मृतियों को हृदय लगा, श्रद…