वस्तुतः भारत की राष्ट्रीय चेतना वेदकाल से हीअस्तित्वमान है। अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त में धरती माता का यशोगान किया गया है--"माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः ।"(भूमि माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ)। विष्णुपुराण में तो राष्ट्र के प्रति का श्रद्धाभाव अपने चरमोत्कर्ष पर दिखाई देता है। इस में भारत का यशोगान 'पृथ्वी पर स्वर्ग' के रूप में किया गया है-
प्राचार्य
शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
मंडला,मप्र-481661
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