वो और जमाना था
"वो और जमाना था जो अब न आएगा ये और जमाना है ये भी चला जाएगा इस हस्ती को एक मस्ती में जी भर कर जी ले दोस्त हाथ खोल के आया था और खोल के जाएगा,, सिपाही नवीन कुमार   1           यदि        आप   स्वैच्छिक   दुनिया   में   अपना   लेख   प्रकाशित   करवाना   चाहते   है   तो   कृपया   आवश् यक   रूप   से…
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"ज़िंदगी"
ज़िंदगी को बहुत प्यार मैनें किया , ज़िंदगी मुझको फिर भी रुलाती रही। ख़्वाब मैने  बहुत थे संजोए मगर, खुशियां मुझको ही आखिर भुलाती रही। मैनें चाहा सुकून उम्र भर का मगर, ज़िंदगी मुझको फिर भी सताती रही। मेने हंसकर सहे हर सितम प्यार में , वो सितम पे सितम मुझ पर ढहाती रही। मैनें सपनों के महल बनाए थे मगर,…
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ग़ज़ल
देना    चाहे     कर   देता   है। उड़ना    चाहे    पर   देता   है। ज़ालिम से मत डरना हरगिज़, डर  जाओ  तो   डर  देता  है। खूब   सराहा   जाता   लूजर, अच्छी जब  टक्कर  देता  है। खो   देता  है   अक्सर   इंसां, सब को  रब अवसर  देता है। मन की  अपने कहता है बस, किस को  कब उत्तर  देता है। हमीद कानपुरी   1  …
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