शरद पूर्णिमा का गीत
नहा रहा है शुभ्र किरण में, देखो जग सारा है।। चंदा की किरणों से बरसे,आज अमिय-धारा है। शरद निशा की गति-मति न्यारी, हर उर आज सुवासित है। जीवन में है एक नई लय, मौसम भी श्रंगारित है।। इसने दिल हारा है देखो,उसने दिल हारा है। चंदा की किरणों से बरसे,आज अमिय-धारा है।। शुभ्र किरण है,शुभ्र यामिनी…
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ग़ज़ल
दौर  नाज़ुक   है  तमाशे  नहीं अच्छे   लगते। अब  हमें  ढोल  नगाड़े   नहीं  अच्छे   लगते। हाथ  में  हर   घड़ी  रहते   हैं नये मो  बाइल, अब के बच्चों को खिलौने नहीं अच्छे लगते। हौसलों  को  करो मज़बूत संभालो खुद को, कुछ व्यवस्था  के इशारे  नहीं अच्छे  लगते। दायरा  सोच का अपना   है  बड़ा   पहले  से, सोच…
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मेरे कुछ अनकहे लफ्ज़
किसी को जीने की चाह है,तो कोई जानकर मौत चाहता है किसी को बिन मांगे मिल जाती है,तो कोई दुआ में मांगता है सिपाही नवीन कुमार   1           यदि        आप   स्वैच्छिक   दुनिया   में   अपना   लेख   प्रकाशित   करवाना   चाहते   है   तो   कृपया   आवश् यक   रूप   से   निम्नवत   सहयोग   करे  : a.      सर्वप्र…
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