शरद पूर्णिमा का गीत
नहा रहा है शुभ्र किरण में, देखो जग सारा है।। चंदा की किरणों से बरसे,आज अमिय-धारा है। शरद निशा की गति-मति न्यारी, हर उर आज सुवासित है। जीवन में है एक नई लय, मौसम भी श्रंगारित है।। इसने दिल हारा है देखो,उसने दिल हारा है। चंदा की किरणों से बरसे,आज अमिय-धारा है।। शुभ्र किरण है,शुभ्र यामिनी…
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