पिता बच्चों के सामने मुस्कुराता है
जिम्मेदारियों की भट्टी में सुलगते हुए भी , पिता सदा बच्चों के सामने मुस्कुराता है हर मोड़ पर दिल पर पत्थर रख, अपनी ख्वाहिशों को दफन करके भी बच्चों के सामने मुस्कुराता है। खुद चाहे अनपढ़ हो बच्चों की तालीम के वास्ते तपती धूप में भी मुस्कुराता है। चाहे जितना भी टूट जाए मगर परिवार के लिए बरग…