जब कभी बुलंदी से फिसल जाती है|
जब कभी बुलंदी से फिसल जाती है, जिंदगी मौत के सांचे में ढल जाती है |   चाहता हूँ सब को दुआ दूँ लेकिन, कभी दिल से आह निकल जाती है|   अपनी माँ लगनें लगीं हैं,तेरी माँ मुझको, दोस्ती बढ़ के रिश्तों में बदल जाती हैं|   प्यार फूलों से मिजाजन बहुत हैं,लेकिन, ये तबियत कभी काँटों से बहल जाती है|   छोड़ नहीं सक…
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ग़ज़ल
सब  जो   ईमानदार   हो   जाते। सब के सब  शानदार  हो   जाते। सचको सच ही अगर कहा होता, आदमी   बा   वक़ार   हो   जाते। आम  जनता  न  चाहती  गर तो, कब के हम दर किनार हो  जाते। राह  में  गर   नहीं  पहाड़  आता, कैसे   फिर  आबसार  हो  जाते। आप होते  जो साथ में   हमदम, कब के फिर  शानदार हो  जाते।            …
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मेरा सृजन
मेरा सृजन , मेरे अल्फ़ाज़ मेरी रचना , मेरी सोच तुम्हारे मनोरंजन के लिए नही है । मेरी दुकान पे तुम्हे , हँसी का ठहाका नही मिलेगा। में लतीफ़ों का व्यापार  नही करता। मेरा सृजन बदलाव का है । मेरा सृजन मंथन का है । अगर मेरे अल्फाज़ो के  फूलों की महक , तुम्हे रोमांचित कर जाए  तो तुम्हारा स्वागत है । मेरे सृज…
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व्याकुल मन
जब व्याकुल मन में उत्पन्न होते है, अनगिनत  से  अनबूझे  सवाल। तब दीवारों पर मौन हुई तस्वीरे  भी अचानक बात करने लगती है।। अचानक ही मिलने लगते है जवाब, जीवन   की   हर   उलझनों   का, जिनका हल किसी भी मानव रूपी  कठपुतली  के  पास  नही  है। क्योंकि हर कठपुतली अपनी ही जिम्मेदारियों  के  धागों  के आगे  नाचत…
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