जब कभी बुलंदी से फिसल जाती है|
जब कभी बुलंदी से फिसल जाती है, जिंदगी मौत के सांचे में ढल जाती है | चाहता हूँ सब को दुआ दूँ लेकिन, कभी दिल से आह निकल जाती है| अपनी माँ लगनें लगीं हैं,तेरी माँ मुझको, दोस्ती बढ़ के रिश्तों में बदल जाती हैं| प्यार फूलों से मिजाजन बहुत हैं,लेकिन, ये तबियत कभी काँटों से बहल जाती है| छोड़ नहीं सक…