वर्तमान का गीत
रोदन करती आज दिशाएं,मौसम पर पहरे हैं । अपनों ने जो सौंपे हैं वो,घाव बहुत गहरे हैं ।। बढ़ता जाता दर्द नित्य ही, संतापों का मेला कहने को है भीड़,हक़ीक़त, में हर एक अकेला रौनक तो अब शेष रही ना,बादल भी ठहरे हैं । अपनों ने जो सौंपे वो,घाव बहुत गहरे हैं ।। मायूसी है,बढ़ी हताशा, शुष्क हुआ हर मुखड़ा जिसका …
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संदेशपूर्ण दोहे
उलझन को सुलझाइए,लेकर सुलझे भाव। जिसके सँग है सादगी,रखता प्रखर प्रभाव।। उलझन है मन की दशा,नहीं समस्या मान। यह है दुर्बलता-दशा,आज हक़ीक़त जान।। मन को रख तू नित प्रबल,उलझन होगी दूर। जो रखता ईमान वह,नहीं खो सके नूर। उलझन उसको ही डसे,जो सच में डरपोक। कौन लगा सकता यहाँ,साहस पर तो रोक।। उलझन को ना पालना…
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