गांव
आधुनिकता की चकाचौंध ने,  गांव को भी नही बख्शा।  संस्कृति के अवमूल्यन से,  गांव का भी बदला है नक्शा।  रात के दो सुबह के नो, खाना-पीना और सोना।  यार डैडी मॉम जैसे संबोधन,  पर मां बाप को आता है रोना।  मोबाइल टीवी ने बदली है,  बच्चों की पुरी जिंदगी। छोटी-छोटी बातों पर,  आत्महत्या की देते है धमकी।  तकनी…
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ग़ज़ल
मिल सकी  है उसे  यूँ  सफलता  नहीं। कामयाबी की दिल में विकलता  नहीं। चूमती   ही   नहीं   कामयाबी   क़दम, अज़्म लेकर जो घर से निकलता नहीं। राह उसकी करे तय समय खुद ब खुद, वक्त  के  साथ  जो  भी बदलता  नहीं। अवसरों  को  भुनाता  अगर   ठीक से, ख़्वाब ले आँख में फिर टहलता  नहीं।  गोल कम  ही  रहे  उसके  खात…
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मंत्रीजी का पावर
वो सब्जी के ठेले को धक्का मारता हुआ मुख्य सड़क से चौराहे पर पहुंचा ही था कि पीछे से उसकी पीठ पर एक जोरदार डंडा पुलिस के सिपाही ने मार दिया । ‘मेरा क्या कसूर माई- बाप ।’ वो एक हाथ से अपनी पीठ सहलाता हुआ बोला । ‘सारा शहर बंद है मंत्री जी के शोक में, और तू साला दुकान लिए घूम रहा है ।’ सिपाही आंखें दिख…