सिमटता गांव
जीवन के तीस बसंतों को पार कर चुका हूं, जब कभी एकांत में बैठ कर बीते हुए वर्षों का अवलोकन करता हूं तो लगता हैं कि समय ने दीवार पर टंगे कैलेंडर को ही नहीं बदला, अपितु रिश्ते-नाते, संबंधों की परिभाषा भी बदल दिया। मेरा बचपन भारतीय संस्कृति के उस गांव में बीता हैं। जहां बचपन से हमें सिखाया ज…