ओ मेरी प्रियतमा !
जब से चला में तेरी ओर,प्यार का पाया ओर न छोर। आँखे हैं सुरमा सी काली, गालों में गुलाब की लाली। मस्तक में बिंदिया चमक रही सर पर चुनरी दमक रही खिंचता जाऊँ उसकी ओर -जब से चला.........................। कोयल जैसी उसकी बोली चेहरे से है लगती भोली । झूमे जैसे लता की डाली बादल बन बरसे मतवाली । ऐसे…