करोना की तीसरी लहर से कैसे निपटें
करोना ने ना जाने कितनों के सगे-संबंधी, नाते-रिश्तेदार छीन लिए, कितने ही परिवार उजाड़ दिए, कितनों की मांग सूनी हो गई तो कईयों ने लाल खोए और कोई मां को रोता है तो कोई बहन को, कितने साहित्यकार, कितने सितारे, ना जाने कितनी ही बड़ी-बड़ी हस्तियों को छीना, हज़ारों लोग ऑक्सीजन की कमी से स्वर्ग सिधार गए,अब …
मुख्यमंत्रीजी
प्रदेश में चुनाव होने वाले थे । मुख्यमंत्रीजी के स्वभाव में अचानक से बदलाव होने लगा । वे मरखने सांड से सीधे भोली भाली दुधारू गाय बन गये । पिछले पांच साल से वे पुलिस के बल पर राज कर रहे थे । ये तो जनता ही जानती है कि पांच साल कैसे गुजरे...। पत्रकारों, लेखकों की कलमों को पुलिसिया मुकदमों से कैसे तोड़…
जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है पुस्तक "यही सफलता साधो"
अपने दौर को तो सभी साहित्यकार अपनी कलम के माध्यम से दर्ज करने का सफल प्रयास करते हैं, लेकिन ऐसे चंद ही रचनाकार होते हैं,जिन्हें उनका दौर इतिहास में उनके प्रभावी लेखन के कारण कुछ ख़ास तरह से दर्ज करता है। जी हाँ! मै आज एक ऐसे ही उर्जावान रचनाकार और उनकी रचनात्मकता की चर्चा करने जा रहा हूँ, जो अपने स…
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ग़ज़ल
रोज़  उसको   न  बार  बार  करो। जो  करो  काम   आर  पार  करो।   आ   के   बैठो  गरीब   खाने   में, मेरी  दुनिया  को  मुश्कबार करो।   तेरे बिन है  खिजाँ खिजाँ  मौसम, आ के मौसम को खुशगवार करो।   जब तुझे मिल  गया  सनम  याराँ, अब न अाँखों को अश्कबार करो।   माँग   ली   है   हमीद   ने  माफी, अब  नहीं   और  …
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