ईमानदारी की रोटी
अपनी मेहनत से जो ईमानदारी की रोटी खाते हैं। किसानों के दुःख दर्द सिर्फ वे लोग ही बुझ पाते हैं। झूठ फरेब और धोखाधड़ी जिन लोगों का पेशा है। वे भला क्या समझ सकते किसानी करना कैसा है। चाहे कैसी भी सर्दी,गर्मी हो या हो वर्षा मूसलाधार। किसान दिन-रात डटे रहते चाहे खेत हो या बधार। सूरज निकलने से पहले …