नन्दलाल मणि त्रिपाठी 'पीताम्बर '
'एहसास रिश्तो का' पुस्तक में इंसान के जीवन काल के हर मोड़ के दार्शनिक पहलुओं का सटीक व बेबाकी से अनुभव कराता काव्य संग्रह है जो देश के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी 'पीताम्बर 'जी द्वारा रचित यह काव्य संग्रह उनके कोमल हृदय से निकली एक नायाब अनुभव व शोधयुक्त अनुपम कृति है |लेखक की पांच और पुस्तकें जो प्रकाशित हैं इस प्रकार है - अधूरा इंसान, मेट्रो, एहसास प्यार का, अलकन्दा और उड़ान पंक्षी का (उपन्यास ) |रचनाकार ने 'एहसास रिश्तों का ' शीर्षक के अनुरूप ही हृदय की गहराइयों से रिश्तों की हर मर्मस्पर्शी पहलुओं पर संजीदा के साथ व्यक्त की है |उन्होंने सभी रचनाओं को एक ही शीर्षक में में पिरोया है जो अपने आप में उनकी विशेष योग्यता व योगदान को प्रमाणित करता है |काव्य संग्रह में रचनाकार श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी जी ने पारंपरिक शब्दों का प्रयोग न कर मुक्त रहता सुंदर सृजन किया है, उन्होंने कुछ जगहों पर बेहतरीन तुकबंदी भी करी है जो रचना में चार चांद लगाते हैं |पहली रचना की कुछ पंक्ति इस प्रकार है :-
रिश्ते कभी हो नहीं सकते
सिर्फ बात कहानी
और कथानको में
कहते जीवन नाटक तो
मनुष्य सामाजिक प्राणी है, इसी भाव को उन्होंने बहुत ही सुंदर काव्यमय रूप में रिश्ते को परिभाषित किया है जो इस प्रकार है :-
रिश्तों के कारण ही
सामाजिक इंसान
रिश्ते ही गुनो, रिश्ते ही सुनो
रिश्तो के लिए जियो
इकतीसवें की कुछ पंक्ति निम्न है :-
नीति नियंता बन
नेतृत्व समाज का कर
रिश्तो की गति को
जानों उनकी मर्जी पहचानों
आज भाग भाग दौड़ भरी माहौल में रिश्तो का दायरा सिमट रहा है जो कि सामाजिक परिवर्तन का असर है |रिश्ते की अहमियत मर्यादाओं की कसौटी पर खरा उतरने की हर जद्दोजहद की बहुत ही सुंदर व्यवस्थित आधार पर वर्णन पूरी रचनाओं में कवि ने किया है |मुझे उनकी बासठवीं रचना की सभी पंक्तियां काफी प्रभावित कर मेरे उर में जगह बनाई उनमें से कुछ पंक्ति इस प्रकार हैं :-
रिश्तो की यादें
रिश्ते का वरदान हो
रिश्तो की संपन्नता में
शुमार हो
एक सौ इक्कीसवी रचना में रचनाकार के रिश्ते पर बहुत ही सुंदर भाव परिमार्जित करी है जो कि कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं :-
परमार्थ त्याग, सुविचार
परिमार्जित भाव ही
रिश्तों के व्यवहार
आदरणीय श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर जी की काव्य संग्रह की सभी रचनाएं रिश्तो के हर भावों को समझाने में कामयाब रही | मुझे पूरा यकीन है कि यह काव्य संग्रह पाठकों को पढ़कर सुखद अनुभूति वरिष्ठ क्योंकि मर्यादाओं में रहने की सीख मिलेगी |आदरणीय जी ने स्वयं अपनी नई अनुपम कृति 'एहसास रिश्तों का 'अपने हाथों द्वारा भेंट कर मुझे गौरान्वित किया इस हेतु आभार व्यक्त करता हूं | आदरणीय पितांबर जी को उनकी इस विशिष्ट साहित्य कृति के लिए हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूं, उनकी साहित्यिक सृजन यात्रा यूंही अनवरत चलता रहे व समाज को उनकी कृतियों द्वारा मार्गदर्शन व प्रेरणा मिलता रहे |
सूर्यदीप कुशवाहा
वाराणसी उत्तर प्रदेश
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