प्रखर गूँज साहित्यनामा 
विनोद कुमार विक्की(नई दिल्ली)

नीलू सिन्हा,आरती प्रियदर्शिनी एवं लाल चंद्र यादव के संपादन में साहित्य सृजन का उत्कृष्ट मंच है प्रखर गूँज साहित्यनामा                

          देश की राजधानी दिल्ली से संपादक श्रीमती नीलू सिन्हा,आरती प्रियदर्शिनी एवं लाल चंद्र यादव के त्रय संपादन मे विगत वर्ष से प्रकाशित होने वाली मासिक हिन्दी साहित्य पत्रिका प्रखर गूँज साहित्यनामा काफी कम समय में ही राष्ट्रीय स्तर की एक महत्वपूर्ण पत्रिका के रूप में शुमार हो चुका है। 

             बेबाक संपादकीय, आवरण कथा,कहानी,लघुकहानी,लघुकथा,मुक्तक,साक्षात्कार,व्यंग्य,प्रेरक कथा,आलेख,काव्य धारा,गजल,दोहे,सिनेमा जगत एवं साहित्यिक विभूतियों से जुुुड़े संस्मरण को हर अंक में समेटने वाली ये पत्रिका अपने आप में अद्भुत व साहित्य की उम्दा एवं बेहतरीन पत्रिकाओंं मे अपना स्थान बना रही है।

इस पत्रिका की सबसे बड़ी विशेषता है कि पत्रिका का प्रत्येक अंक किसी न किसी साहित्यिक या सांस्कृतिक विभूतियों को समर्पित होता हैै। पत्रिका में अन्य स्थाई स्तम्भ  सिने स्टार एवं सिनेमा जगत से जुड़ी गतिविधियों को भी विशेष महत्व दिया जाता है।प्रखर गूँज साहित्यनामा के हर अंक में एक से अधिक बेहद ही उम्दा व्यंग्य रचना के लिए पेज सुरक्षित रहता है।साथ ही सामाजिक ताने-बाने से जुड़ी कविताएँ गीत गजल आदि का समावेश भी रहता है।मनोरंजन से जुड़े आलेख एवं साहित्य की दिवंगत विभूतियों की रचनाओं एवं संस्ममरण को भी हर अंक में पाठकों के लिए उपलब्ध कराया जाता है।जीवन के सकााारात्मक पहलू से जुड़ा आलेख "जिंदगीनामा" भी इस पत्रिका में उपलब्ध रहती है।

        आवरण सहित महज चालीस पृष्ठ एवं पैसठ रूपये की कीमत में राष्ट्रीय/अंतराष्ट्रीय/ साहित्यकारों की उम्दा रचनाओं के साथ साहित्यिक ज्ञानवर्धक आलेख,मनोरंजक साहित्य, समीक्षा आदि हर वो स्तम्भ को समाहित किए हुए होता है जो किसी मानक साहित्यिक पत्रिका में होती है।हालाँकि पत्रिका में कम पेज होना एवं साहित्यिक समाचार का अभाव पाठकों को थोड़ा निराश कर सकता है तथापि सभी पृष्ठ का रंगीन होना एवं कम पृष्ठ में तमाम साहित्यिक विधा की उपस्थिति गागर में सागर को चरितार्थ करती है।

प्रखर गूँज प्रकाशन की मासिक पत्रिका साहित्यनामा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके नाम अर्थात साहित्यनामा नाम से हूबहू दूसरी पत्रिका भी बाज़ार में उपलब्ध हो गई है।

                   कुल मिलाकर खांटी हिन्दी साहित्य में रूचि रखने वाले पाठकों  के लिए एवं पाठकों के लिए प्रखर गूँज  साहित्यनामा एक पसंदीदा पत्रिका साबित हो सकती है। 

 

पत्रिका- प्रखर गूँज साहित्यनामा  

पृष्ठ-40 मूल्य-65₹ वार्षिक 720

संपादक- श्रीमती नीलू सिन्हा

सह संपादक-आरती प्रियदर्शिनी

कार्यकारी सम्पादक-लाल चंद्र यादव 


पता-एच3/2,सेक्टर 18,रोहिणी ,नई दिल्ली 110089



            समीक्षक-विनोद कुमार विक्की 



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