(पुस्तक समीक्षा)ख्यालों का बागीचा
चाँदनी सेठी कोचर(झालावाड, राजस्थान)

   साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित दीप देहरी लघुकथा संग्रह ,की लेखिका देश की ख्यातिनाम कवयित्री चाँदनी सेठी कोचर नई दिल्ली की कवयित्री है जिनके काव्य संग्रह की कृति ख्यालों का बागीचा मर कुल ग्यारह रचनाएँ जो सामाजिक विसंगतियों पर आधारित है।

   चाँदनी सेठी कई साझा काव्य संकलन में अपनी श्रेष्ठ रचनाओ के लिए जानी जाती है। देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में आपकी रचनाएँ नियमित छपती रहती है।वुमन ऑफ ईयर अवार्ड व सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से समनानित कोचर की प्रस्तुत कृति की भूमिका में अनिल कुमार निश्छल ने लिखा कि कवयित्री ने अपनी कृति में कन्या भ्रूण हत्या छुआछूत भेदभाव जैसी समस्याओं को उजागर किया है।

    प्रथम रचना कन्हैया में  कोचर अर्जुन की तरह भगवान से सत्य मार्ग दिखाने की याचना करती है। जीवन की परेशानियों के आगे झुक जाती है तो ईश्वर ही हिम्मत देता है। जीव को मोह माया से मुक्त केवल ईश्वर ही करता है  उन्होंने इस रचना से संदेश दिया कि ईश्वर की शरणागति से सच मार्ग पर चला जा सकता है।

  विचार करें रचना में भेदभाव बंटवारा लड़कियों का शोषण, महिलाओं की बात को दबाया जाता है बिन ब्याही माँ पर सवाल आदि के जरिये पुरूष प्रधान समाज मे महिलाओं का पूर्ण रूप से सम्मान नहीं किया जा रहा है। आज महिलाओं को सम्मान देने की जरूरत है। सिर्फ महिलाओं को दोषी बताकर पल्ला झाड़ने से काम नहीं चलेगा।सभी सवाल महिलाओं के लिए होते है तो पुरुष के लिए क्यों नहीं?

    मेरी कलम रचना में बताया कि आज समाज न सच लिखने देता है न सच बोलने देता है। लेकिन जब परिवार साथ रहकर कहता है तुम सच लिखो चाहे जान ही क्यों न देनी पड़ी। हम सब परिवार के साथ है तो लेखिका को सम्बल मिलता है। सच है आज कलम की आवाज़ को दबाया जाता है। लेकिन कलम की ताकत सबसे बड़ी है यह हर कोई जानता है। समाज मे जिससे सुधार आये वैसा लिखना आज जरूरी है।

   दर्द ए इश्क में ख्वाब अधूरे अरमान अधूरे । जीवन की उलझनों के कारण इश्क न करना। मन मे अरमान का दफन हो जाना। ये अक्सर युवावस्था में हर एक की कहानी का सच कोचर ने अपनी रचना में रखा है।

  पहली बारिश बचपन की बारिश जिसे भुलाया नहीं जा सकता। माँ के साथ भोजन करना। वह भोजन की मिठास हमेशा याद रहती है। पिता अपनी पत्नी का फर्ज निभाते है बेटी पिता को जब ऐसा करते देखती है तो पिता के दायित्वों का सच जान जाती है।

   क्या कसूर था रचना में कन्या भ्रूण हत्या पर पैनी कलम चलाई है चाँदनी जी ने। यह बुराई जड़ से मिटाने की जरूरत है। आदमियों के भेष में हवस के भूखे भेड़िये मासूमों को नोच रहे हैं। मासूम लड़कियों के साथ लोग हैवानियत कर रहे हैं। आये दिन समाचार पत्रों में ऐसी घटनाएं पढ़ने को मिलती है।गर्भ में हत्या कर दी जाती है। वह भी दुनिया देखना चाहती है। आखिर उसका कसूर क्या है? 

    पिता शीर्षक से एक अच्छी कविता इस काव्य संकलन में रखी है जिसमे बताया कि घर परिवार की तमाम जिम्दारियों को निभाता है पिता। पिता की महिमा आंसुओ से लिखो तो भी कम है। जान से अधिके प्यारे है पिता।

   मजदूर पिता रचना में बताया कि दिन रात हाड़ तोड़ मेहनत कर चैन की नींद सोता है।किसी को धोखा नहीं देता।कम खाता शांति से।बच्चों की सारी इच्छाएं पूरी करता है। उसके  सख्त पैर कटे फ़टे भले हों लेकिन उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कराहट जरूर होती है।

    मेरी लाडो कविता में बेटी को लोग पराई कह देते है। मायके व ससुराल में पराया धन मानते हैं। बेटी जब ससुराल से अपने पिता के घर आती है तो आँगन में किलकारी लौट आती है  घर मे महक आ जाती है। बेटी बड़ी बड़ी बातों का दर्द अकेली ही श लेती है।फिर भी हँसकर सबसे रूबरू होती है। सारे दर्द बेटियां यूँ ही छिपा लेती है।

    एक वेश्या रचना में बताया कि आखिर वेश्या को वेश्या बनाता कौन है। पुरूष ही न ? तो फिर उन्हें तो वैश्या नाम दे दिया जाता है पुरुषों को कोई नाम क्यों नहीं देते? गरीबी के कारण लड़कियां जिस्म बेचती है वेश्यावृत्ति करती है।  कई मर्दो के साथ संबंध बनाती है लेकिन जो अमीर पुरूष है उन्हें क्या जरूरत है जो की सारी महिलाओं के साथ संबंध बनाते हैं। उन्हें तो वेश्या रखैल ओरत आदि नाम दे दिए जाते हैं। पुरुष को कोई नाम क्यों नहीं दे देते? जो एक नारी को वेश्या बना देते हैं।

     इस काव्य संकलन की अंतिम रचना फरेब है।  जब दिल तो बाजार में ही बेच आये तो अब क्या एतबार करें। अब कोई शब्द है न कोई वक़्त है। प्यार में अक्सर धोखा ही होता है।

  काव्य संकलन की भाषा सरल व बोधगम्य है। कीमत भी वाजिब है। शैली वर्णनात्मक लगी।

    सारांशतः इस काव्य संकलन में कवयित्री ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से  सामाजिक कुरीतियों समस्याओं विसँगतियो को जग जाहिर किया है।साहित्य जगत में इस कृति की अलग ही पहचान होगी। मेरी ओर से कवयित्री चाँदनी सेठी कोचर जी को एक बेहतरीन काव्य संकलन  की हार्दिक बधाई देता हूँ व उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।



                समीक्षक:- डॉ. राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"



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