आदमी को जगाओ संसार तुम्हारा है।
    कवि आशुतोष और ओटेरी सेल्वा कुमार लिखित संयुक्त काव्य संग्रह जिसका शीर्षक है "आदमी को जगाओ संसार तुम्हारा है"वर्तमान सामाजिक भावनाओं को व्यक्त करता है।इस पुस्तक में कुल पच्चास कविताएं शामिल हैं। जिनमें से आधी आशुतोष कुमार लिखित एवं आधी ओत्तेरी सेल्वा कुमार द्वारा लिखित है। दोनों कलमकारों ने एक से बढ़कर एक रचना कलम बंद किया है।इस संग्रहणीय काव्य संग्रह आप जितने तन्मयता के साथ पढ़ेंगे आपको उतना ही पसंद आते जाएगा।आप काव्य रस से भरे सागर में गोता लगाते हुए महसूस करेंगे।इसकी सराहना व प्रशंसा की जाए कम है।इन दोनों कलाकारों की रचनाएं जिंदगी के हर पहलुओं को छूते हुई नजर आती है साथ ही पर्यावरण के प्रति सजगता जगाती है।वर्तमान समय की सामाजिक समस्याओं को भी उल्लेखित करतीं हैं।मौसम जल जंगल गांव चौपाल पशु पक्षी हर के बारे में रचनाएं आपको पढ़ने को मिलती हैं।जो इसका भी संग्रह के सार्थकता को बढ़ा देती है।

                 इस काव्य संग्रह का प्रारंभ आशुतोष कुमार की जीवन परिचय के साथ होता है।जिनसे हमें उनके जीवन यात्रा के बारे में सामान्य जानकारी मिलती है।उसके पश्चात उनकी पच्चीस रचनाओं को पढ़ने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ।आशुतोष कुमार की सभी रचनाएँ अपने अपने विषय में एक से बढ़कर एक है।जब आप इसे पढ़ना शुरू करेंगे तो बिना खत्म किए उठ नहीं पाएंगे।इनकी सभी रचनाओं ने मुझे प्रभावित किया है।उन रचनाओं में से कुछ रचनाओं का चर्चा करना पसंद करूंगा।  

     आशुतोष जी की पहली रचना "जागो इन्सा प्यारे" है इसके माध्यम से आशुतोष कुमार ने समाज को राष्ट्र भाव से प्रेरित मानवता का पाठ पढ़ाते हैं।इंसान को इंसान बने रहने का सीख देता है।इनकी दूसरी रचना उबलता लहू भी कुछ इसी तरह की रचना है जो समाज में व्याप्त खामियों को उजागर करता है।इसकी पहली पंक्ति बहुत ही मारक है। "मन का मेला बना विषैला फिरता है मारा मारा"जो आपके मन को उद्वेलित कर देगा।

इनकी तीसरी कविता है "ढूंढे ना मिला चिराग"जिसमें राज्य व्यवस्था की कमजोरियों को बताया गया है साथ ही जनता के जिम्मेदारियों से रूबरू कराती है। "सजेगी दरबार",प्रभु श्री राम को समर्पित इनकी चौथी कविता है। आगे "ए मन"एक बहुत ही सुंदर कविता है जो दिल के भाव को व्यक्त करता है। इनकी अगली कविता "प्रदुषण का कहर"इस कविता द्वारा वातावरण में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जाहिर किया गया है।प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले तमाम कठिनाइयों का विश्लेषण भी है।अगली कविता बेवफाई का मंजर,मेरी कविता,ऐ जिंदगी,नेताजी के गुण,घाटी की  रौनक लौटी,बरखा रानी,सुंदर झारखंड,कैद में नदियां तड़पाती बाढ़,ख्वाब,कसम तिरंगे की है इसके बाद आती है गांव की चौपाल यह एक बेहतरीन रचना है जिसमें हमारी पौराणिक संस्कृति और परंपरा के बारे में वर्णन किया गया है किस प्रकार से लोग पहले एक जगह बैठ कर अपनी बड़ी-बड़ी समस्याओं का हल ढूंढ लेते अपने सुख दुख बांट लेते थे उसमें देखने को मिलता है।फिर है "आया सावन"जो प्रकृति की खूबसूरती को बयां करता है। इसके बाद आता है "ए चांद तुम्हें पाएंगे"यह कविता इसरो के चंद्रयान मिशन के बारे में है यह कविता मुझे काफी प्रभावित किया क्योंकि यह एक बार फिर से देशवासियों के मन में है विश्वास जगाता है कि 1 दिन हम होंगे कामयाब और चांद पर हिंदुस्तान का निशा होगा।अगली रचना करची की कलम,नन्हीं जान,बचपन की शरारत है। बचपन की शरारत पढ़कर अपना बचपना याद आ जाएगा।बचपन के दिन कितने अनमोल होते हैं। उनकी एक महत्वपूर्ण रचना "गरीबी" है।इस रचना द्वारा गरीब और बेसहारों की दीन-हीन दशा व्यक्त की गई है। किस प्रकार गरीबों को असहनीय पीड़ा से हर रोज दो चार होना पड़ता है। इनकी चौबीसवीं रचना "घूसखोर" है जो लोगों के नैतिकता और लालच उल्लेखित करता है। अंतिम रचना "वैशाखी और तरास"बढ़ते तापमान और उससे उत्पन्न समस्याओं को चिन्हित कर रहा है।इस तरह से आशुतोष कुमार ने अपने कलम के जादू से एक से बढ़कर एक रचनाएं कलम बंद किया है।

पुस्तक के दूसरे हिस्से में ओटेरी सेल्वा कुमार की सर्वप्रथम जीवन परिचय है। कुमार इसमें ए बताते हैं किस तरह से वे हिंदी में रचनाएं लिखने के लिए तमाम कोशिशें की।इनकी भी पच्चीस रचनाएं इसमें शामिल है।ओटेरी सेल्वा कुमार की द्वारा लिखित रचनाएँ भी बहुत उम्दा दर्जे की है।सेल्वा कुमार ने नपे तुले शब्दों में छोटी-छोटी रचनाएं प्रस्तुत की है। लेकिन बहुत ही प्रवाहमय और अर्थपूर्ण है।।इनकी पहली रचना "यह स्वतंत्रता है"जो भारत के अर्ध रात्रि में मिले स्वतंत्रता के बाद कई क्षेत्रों में आज भी प्रगतिशील भारत के प्रयास को इंगित करता है।दूसरी रचना "मेरा भारत"भारत वासियों के हर दिन होने वाले परेशानियों को दिखाती है।किस तरह की छोटी-छोटी बातों के लिए आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं।तीसरी रचना क्यों राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर है इसी पर सवाल जवाब करता है।आगे क्रूरता कैसे के बारे में कैसे,क्या है,इसका जवाब,वास्तव में,मुस्कुराहट सुनो, है जो व्यवस्था और लोगों से सवाल करता हुआ दिखता है।इनकी एक महत्वपूर्ण रचना "आधुनिक बलात्कार" है जो समाज में व्याप्त घृणित मानसिकता को उजागर करता है।

आगे इन्होंने सर्दी की मार,यह कारण है कि के,इसे समायोजित करें,क्या बिल्ली है,नया साल, वास्तव,कुत्ता लड़ता है प्रस्तुत की है।जो शब्द समाजिक कमजोरियां, मानव के हाव भाव पशुओं की जिंदगी आदि को प्रस्तुत करती हुई दिखती हैं।कुत्ता लड़ता है के माध्यम से इन्होंने उन लोगों की ओर इंगित किया है जो बेवजह जहां-तहां एक दूसरे से भिड़ जाते हैं और दूसरे को भी परेशानी में डाल देते हैं।आगे है निष्क्रियता हो सकता है,यह सच है।यह सच है कविता में किस प्रकार से एक झूठ बोलने के लिए हजार झूठ बोलना पड़ता है उसको तो बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया गया है।प्यार के बारे में क्या,शांति के लिए प्रश्न,आज का सवाल, अपनी जिंदगी जिए, और अंतिम कविता है "क्या"।

ओत्तेरी सेल्वा कुमार ने जिस तरह से प्रश्नात्मक और व्यंगात्मक ढंग से रचनाएं प्रस्तुत की है वह बहुत ही प्रशंसनीय है भाषा की बाधा होते हुए भी इन्होंने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की है जिसके लिए बधाई के पात्र हैं।

         अंत में कहा जा सकता है दोनों रचनाकारों ने अपने काव्य के माध्यम से देश और समाज के साथ-साथ प्रकृति के हर पहलुओं को छूने का प्रयास किया है।साथ ही अपनी रचनाओं के माध्यम से देशवासियों के बीच मानवीयता सामाजिकता राष्ट्रीयता आदि सकारात्मक संदेश देने की भरपूर कोशिश की है और उसमें सफल होते दिख रहे हैं।


     समीक्षक : गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम



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