नई दिल्ली (डॉ. शम्भू पंवार) लॉक डॉउन के चलते अखिल भारतीय स्वयंसेवी संस्था सोशल एण्ड मोटिवेशनल ट्रष्ट द्वारा डिजीटल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी का शुभारम्भ संस्था की अध्यक्षा ममता सिंह के दीप प्रज्वलन व संचालिका दीप शिखा श्रीवास्तव की सरस्वती वन्दना के साथ हुआ।गोष्ठी की अध्यक्षता अनील 'मासूम' ने की।
*प्रसिद्ध कवयित्री ममता सिंह* ने अपनी कविता के जरिये कोरोना से सुरक्षा के उपाय बताए:-
लक्ष्मण रेखा के अंदर ही,
मिलकर सबको रहना होगा|
हाथ मिलाना छोड़ सभी को,
नमस्कार ही कहना होगा|
बाहर जाना सख्त मना है,
घर से काम ही करना होगा|
वही *सुनील कुमार झा**ने कविता में संदेश दिया-
हौले से आज हवा सहला गई,
राह नूतन एक वह दिखला गई।
समय लगा मुझको समझने में मगर-
समय है मुनासिब यही, सिखला गई।।
*रेखा श्रीवास्तव**की बेहतरीन गजल :-
हर पल तेरी याद में रोईं हैं मेरी आँखें,
मेरी भीगी हुई पलकें मेरे आंसुओं की निशानी मांगे|
को काफी दाद मिली।
*सपना एहसास ** की कविता-
मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिए!
सिर्फ वक्त दो गर दे सको,
मैं वो कीकर हूं जो उग चला-
अब थका हूं वक्त की आस में|
*दीपशिखा श्रीवास्तव'दीप'**की गजल:
किसी के जमीर की, यहाँ थाह नहीं मिलती!
सौदागरों के इस बाजार में,कोई पाक़ निगाह नहीं मिलती!!
अक्सर खो जाती हैं वो आवाजें, जो निकलती है सच की तलाश में|
ने गोष्ठी में रंग भर दिया।
* *अनिल मासूम** की भावपूर्ण रचना-
जब जब मन देखे है सपने
मन में अक्सर तुम होते हो
लिखती हूं अहसास मैं सारे
लेकिन शायर तुम होते हो
को बहुत सराहा।
*बबली सिंहा**की कविता
समय का वो टुकड़ा
जो साथ हमने बिताएं थे
आज भी मेरे दिल ने सहेज रखा है।
*अंजू भारती* ने कहा:-
सफर जिंदगी का सफर विराम हो गया है,
रास्ते और सड़के सुनसान हो गया है!
*रविन्द्रनाथ सिंह* की रचना
सूरज ने आँखें फेरी है
दिन में हीं रात अँधेरी है
क्यों मूक दिशाएँ लगतीहैं
विपदा यह कैसी घेरी है।
*मंजू गुप्ता* ने कहा:--
लें रहीं सांसे सुकून मेरे शहर की गलियाँ,
कदम इंसान के, बाद मुद्दत के थम रहे। को काफी पसंद किया।
*मंजुला अस्थाना**
की कविता-
मन और मस्तिष्क एक जैसे क्यों नहीं होते,
दोनों के निर्णय इक जैसे क्यों नहीं होते!
*रचना बंसल* ने कहा:-
अरे गर्मी में कैसा ये उबाल आ गया,
पहाड़ों पर जाने का ख्याल आ गया।
*भावना मिश्रा* ने कहा:-
वक़्त का तक़ाज़ा है,अब थोड़ी-सी बदलने लगी हूँ मैं,
शब्दों को सोच -समझ कर,अब बोलने लगी हूँ मैं ।
गोष्ठी में रेखा श्रीवास्तव, मंजुला अस्थाना महंती, दीपशिखा श्रीवास्तव "दीप", 'प्रशांत त्रिवेदी, सुनील झा, रबिन्द्रनाथ सिंह,ममता सिंह, सपना एहसास,मंजू विश्नोई गुप्ता,अनिल मासूम, रचना बंसल,राजीव तनेजा, आशा चौधरी, अंजू भारती, भावना मिश्रा आदि कवियों की बेहतरीन ओर मनभावन रचनाओं एवं महिला काव्य मंच,हरियाणा की उपाध्यक्षा दीपशिखा श्रीवास्तव के सुंदर और मनमोहक मंच संचालन ने गोष्ठी में चार चाँद लगा दिए।
उल्लेखनीय है कि सोशल एण्ड मोटिवेशनल ट्रष्ट द्वारा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए समय समय पर अनेक कार्यक्रमो का आयोजन किये जाते रहते है ।
कार्यक्रम के अंत में संस्था की अध्यक्षा ममता सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
डॉ शम्भू पंवार
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