अगर सच में पूछा जाए तो विश्व की सभी शक्तियों में, जिनमें धन, ज्ञान, एश यह सभी शक्तियां सम्मिलित तो जरूर है लेकिन उनमें प्रशंसा की शक्ति का अपना एक विशिष्ट स्थान होता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गांधी जी ने अपने साथ आदर्शवादी एवं दृढ़ प्रतिज्ञ नेताओं की ऐसी टीम तैयार किए थे , साथियों जो रणनीति में मतभेदों के बावजूद भी गांधी जी के नेतृत्व के अधीन मिलकर कार्य करते थे। चाहे वे जवाहरलाल नेहरू हो या सरदार पटेल, सरोजनी नायडू हो या सुचेता कृपलानी, मौलाना आजाद हो या गोविंद बल्लभ पंत यह सभी नेता एक महा अभियान में शामिल हुए थे। इसका रहस्य था कि गांधीजी का अपने सभी साथियों में गुण देखने का अभ्यास एवं प्रशंसा करने की कला, दोस्त सच्चाई यही है कि दूसरों में गुण देखना ही सबसे बड़ा गुण है। इतिहास उठाकर देखें तो लिंकन, गांधी, माओ,हो ची मिन्ह ,लेनिन , कैस्ट्रो या नेहरू जी इन सभी में दूसरों की प्रशंसा करने का अभूतपूर्व गुण था। आपको बता दें कि प्रशंसा करने वाला व्यक्ति इस संसार का सर्वाधिक सकारात्मक और किस्मत वाला व्यक्ति होता है। फिर आज से आप भी क्यों नहीं प्रशंसा करने की शक्ति के स्वामी बन इस कला से लोगों को तृप्त करें। लेकिन ध्यान रहे प्रशंसा नपी तुली होनी चाहिए, याद रखना कि आवश्यकता से अधिक प्रशंसक चापलूसी मानी जाती है। प्रशंसा करने के लिए उपयुक्त शब्दों भाव का सहारा ले। प्रशंसा हमेशा हृदय से होनी चाहिए, सच्ची हो, बनावटी नहीं होना चाहिए व ईमानदारी से करनी चाहिए। दोस्त इमानदारी से किया गया प्रशंसा एक साधारण व्यक्ति को असाधारण व्यक्ति बना सकती है तथा इसके साथ ही निराशा को आशा में परिवर्तित कर सकती हैं। कहा जाता है कि फ्रांस के सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट के कुशल एवं प्रभावशाली नेतृत्व का रहस्य ही था कि उनकी प्रशंसा करने की शैली में निहित प्रेरणादायक अभूतपूर्व गुण, बहुत पहले किसी पुस्तक में पढ़ा था कि सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट से जब उसके सेनापति मिलकर बाहर निकलते थे तब ऐसा अनुभव करते थे सेनापति की जैसे उनकी ऊंचाई एक इंच बढ़ गई हो। दोस्तों नेपोलियन उनसे इतने सम्मान से व्यवहार करता था कि वे आत्म सम्मान से अभिभूत हो उठते थे। नेपोलियन के ऐसे प्रेरणादायी शब्द सेनापतियों के हृदय को छू लेते थे , जब सम्राट नेपोलियन अपने सेनापतियों को बोलते थे कि आप पर भरोसा है तथा सारे फ्रांस को आप पर भरोसा है। दोस्त इसी प्रकार से हमें भी अपने जीवन में ईमानदारी के साथ लोगों को प्रेरित और प्रशंसा करना चाहिए । क्या दोस्तों यह एक रुचिकर एवं शाश्वत सत्य नहीं है कि विश्व के सभी धर्मों में ईश्वर के लिए की जाने वाली सभी प्रार्थनाओं में ईश्वर की प्रशंसा की ही प्रधानता होती है । आप ध्यान से देखिए दुर्गा सत्प्तशती , हनुमान चालीसा, शिव चालीसा, बाइबल कुरान सभी ग्रंथों में देखें तो ईश्वर अथवा आराध्य देव की प्रशंसा की गई है। शेक्सपियर के शब्दों को ध्यान में रखना वह कहते हैं कि हर वस्तु में अच्छाई है , इसलिए हम भी आज आपसे कहते हैं कि प्रत्येक स्थिति एवं प्रत्येक व्यक्ति अथवा वस्तु में आप आज से गुण देखना शुरू कीजिए । जब भी आपको संशय लगने लगे कि किसी का प्रशंसा करें कि नहीं तो इसे कर ही दीजिएगा क्योंकि प्रशंसा का लाभ आपके लिए हो या नहीं लेकिन मुझे लगता है कि दूसरों के लिए ईमानदारी से किया गया प्रशंसा अवश्य लाभदायक होगा।।
विक्रम क्रांतिकारी
- यदि आप स्वैच्छिक दुनिया में अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहते है तो कृपया आवश्यक रूप से निम्नवत सहयोग करे :
- सर्वप्रथमहमारेयूट्यूब चैनल Swaikshik Duniya को subscribe करके आप Screen Short भेज दीजिये तथा
- फेसबुकपेजhttps://www.facebook.com/Swaichhik-Duniya-322030988201974/?eid=ARALAGdf4Ly0x7K9jNSnbE9V9pG3YinAAPKXicP1m_Xg0e0a9AhFlZqcD-K0UYrLI0vPJT7tBuLXF3wE को फॉलो करे ताकि आपका प्रकाशित आलेख दिखाई दे सके।
- आपसेयह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।
- कृपयाअपनापूर्ण विवरण नाम पता फ़ोन नंबर सहित भेजे
- यदिआपहमारे सदस्य है तो कृपया सदस्यता संख्या अवश्य लिखे ताकि हम आपका लेख प्राथमिकता से प्रकाशित कर सके क्योकि समाचार पत्र में हम सदस्यों की रचनाये ही प्रकाशित करते है
- आप अपना कोईभी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com पर भेजे और ध्यान दे कि लेख 500 शब्दों से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा।
- साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधि, ब्यूरो चीफ, रिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें8299881379 पर संपर्क करें।
- अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारणडाक से समाचार पत्र एक प्रति वर्ष भर भेजते रहेंगे, परंतु डाक विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से आप तक हार्डकॉपी पहुचने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। अतः जिस अंक में आपकी रचना प्रकाशित हुई है उसको कोरियर या रजिस्ट्री से प्राप्त करने के लिये आप रू 100/- का भुगतान करें।