प्रेरकशक्ति है अभाव

अक्सर अपने जीवन में कुछ अभाव के कारण घबरा जाते हैं। जैसे अच्छे कपड़े नहीं है, अच्छा घर नहीं, अच्छी जॉब नहीं, गाड़ी नहीं, बंगला नहीं आदि आदि। परन्तु अगर थोड़ा रुक कर हम चिंतन और प्रत्यक्षण करें तो ये परिलक्षित होता है कि कुछ अभाव हमें जीवन में आगे बढ़ने का जुनून देता है। हमें वह लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति देता है, जो हमें भावरूप भी न दे। मतलब ये की एक सुविधासम्पन्न बच्चा भी उतनी सफलता नहीं पा पाता, जितना अल्पसुविधा या अभावग्रस्त बच्चा सफल हो जाता है। समाज में ऐसे किवदन्तियों की कमी नहीं। 

वास्तव में ये अभाव है क्या?केवल तुक्का मारने का एक माध्यम या  साँप सीढ़ी का खेल!  सच तो ये है कि दर्शन में इस अभाव का बहुत ही महत्व है।वैशेषिक दर्शन ने अभाव को भी एक पदार्थ या तत्व माना है। यानी अभाव का अर्थ किसी का न होना नहीं, बल्कि एक भाव में दूसरे भाव का नहीं होना ही अभाव है। मतलब ये की मिट्टी के घड़ा में पीतल के घड़े का अभाव। या फिर लाल रंग के वस्त्र में पीले वस्त्र का अभाव। वस्तुतः सामान्य जीवन में भी यही होता है। यदि कोई एक अवसर हाथ से निकल जाए तो दूसरा मौका अवश्य मिल जाता है। यानी दूसरे अवसर में पहले अवसर का अभाव। इस तरह एक अवसर खोने और दूसरे अवसर पाने के मध्य जो संघर्ष होता है वह जीवन के बहुमूल्य सीख होते हैं। हो सकता है ये सीख जीवन में वह मुकाम दे दे, जो अपने बारे में कभी सोचा भी नहीं गया हो। जैसे पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक श्री अब्दुल कलाम जी जब पायलट नहीं बने तो दुखी हो गए। इस असफलता से उनके मन में जो अभाव का अहसास कराया वह एक बड़ी सफलता में परिवर्तित हो गया।
अतः जीवन मार्ग में ऐसे कई अभाव आए पर यदि एक कर्मयोगी यदि संकल्पबद्ध होकर अपने कर्म में विरत रहे तो उसके प्रकाश से सारी प्रकृत चमक उठेगी। आज कोरोना के संक्रमण ने सभी के मन में एक अवसाद सा भर दिया है। ऐसे में इसी अभावशक्ति द्वारा अपने मनःशक्ति से जीत सुनश्चित है। 
           
प्रकृत करे ,अब चीत्कार,
उठ मानव फिर एक बार,
लाज बचा उस  आँचल का तू,
जो है तेरी पालनहार।

         
नितु सिंह











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