यह संकट मानवता पर है और इस संकट को टालने के लिए सभी वर्गो को आगे आना होगा।
आज हम सभी  इस संकट काल से सबक लें, एक व्यक्ति के तौर पर व एक समाज के तौर पर एकजुट होकर मानवता की रक्षा के लिए आगे आएं, आखिर यही तो एक सभ्य समाज की पहचान होती है। जिस प्रकार पिछली बार देशभर के स्वयंसेवी संस्थाओं से लेकर गली मोहल्लों और गांवों तक में हर व्यक्ति एक योद्धा बना हुआ था, इस बार भी वही जज्बा लाना होगा कोरोना को हराने के लिए, दोस्त हम थक नहीं सकते, रुक नहीं सकते। अभी हमें एक होकर काफी लंबा सफर तय करना है, तभी हम सिर्फ कोरोना से ही नहीं जीतेंगे, बल्कि मानवता की भी रक्षा करेंगे, यह तो हम सभी जानते ही है की  मानवता से बड़ी कोई धर्म नही ,तभी तो हम वसुधैव कुटुंबकम की बातें करते हैं , मेरे आत्मीय साथियों 
सभी देशों ने कोरोना को आज राष्ट्रीय संकट की घड़ी मान लिया है, इसमें आलोचनाओं से ज्यादा जरूरत युद्ध स्तर पर राहत पहुंचाने की है, यह काम अकेले न तो केंद्र सरकार कर सकती है और ना ही कोई राज्य सरकारें दुर्भाग्यवश इस दौर में भी राजनीति हो रही है, यह दौर राजनीति से ज्यादा संयम का है। चाहे पक्ष हो या विपक्ष, आम हो या खास, अभी संकट मानवता पर है और इस संकट को टालने के लिए सभी वर्गो को आगे आना होगा। भारतीय समाज को उसी तरह ताकतवर होना होगा, जैसा वह अंग्रेजों के आने से पहले तक था। ऐसा समाज जो सामाजिक जरूरतों के लिए राज्य पर कम, खुद पर ज्यादा भरोसा करता था। लेकिन दुख हो रही है आज ऐसी खबरें सुनकर की आज कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में उपयोगी मानी जाने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी कुछ मक्कार लोग कालाबाजारी और अब तो चोरी भी कर रहे  है, एक ओर जहां हमारे लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, वही  दूसरी ओर कालाबाजार यह कैसी इंसानियत उनकी तरफ देखिए जिन्होंने अपनी को हमेशा के लिए अपनो को गवां दिए केवल ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन और जरूरी मेडिसिन समय पर ना मिलने से ,आखिर कैसे इंसान हो जो तुम इस महामारी में भी इतने घटिया मानसिकता रखते हो? तुम इंसान हो ही नही सकते ,आज अपने देश में कोरोना की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा  दिया है, देश के सभी राज्‍यों में एक जैसी स्थिति दिखाई दे रही है ,कहीं ऑक्‍सीजन  की कमी है तो कहीं मरीजों के लिए अस्‍पतालों में  बेड कम पड़ने लगे हैं, हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्‍या रिकॉर्ड तोड़ रही है और देश की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की सांस फूलने लगी है , कुछ ही दिनों पहले तो देश के ज्‍यादातर राज्‍यों ने ये मान लिया था कि कोरोना का संक्रमण अब खत्‍म हो गया है, कोरोना के मरीज न होने के कारण राज्‍य सरकारों ने जो कोविड सेंटर पिछली बार तैयार किए थे उसे बंद कर दिया , हमने देखा की  ज्‍यादातर राज्‍यों में जनवरी के महीने में ही कोविड सेंटर बंद कर दिए गए थे और वहां लगे वेंटिलेटर और मशीनों को पैक कर दिया गया, हालात ये हुए कि दूसरी लहर ने जब अपना असर दिखाना शुरू किया तो देश की स्थिति उसी तरह से दिखाई दे रही है जैसा कोरोना की पहली लहर के दौरान दिखाई दे रही थी। साथियों आज इसका मूल कारण हमारे लालच ही है साथ ही  मानव द्वारा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ भी  है , अपने स्वार्थ के लिए हम मानव ने जल, हवा को जहां प्रदूषित किया वहीं पृथ्वी का दोहन इतना किया कि उसकी क्षमता भी कमजोर हो गई, मानव की लाभ और लालसा का परिणाम है कि जल, थल, आकाश सब प्रभावित हो चुके हैं। आज यह कोरोना महामारी हम इंसान को स्पष्ट संदेश दे रही है कि अगर अब भी मानव ने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ जारी रखी तो हमारे व आपके 
भावी पीढिय़ों का भविष्य अंधकारमय ही होगा।हवा और पानी के बिना जीवन का  कोई कल्पना भी नहीं कर सकता और कटु सत्य यही है कि जल और हवा दोनों प्रदूषित हो चुके हैं।
















कवि विक्रम क्रांतिकारी


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