खो गया चैन अब,सब अमन खो गया
कट गए वन,हरापन,सभी लुट गया,
कितना सुंदर था मेरा,वतन रो गया ।
हम बढ़े आगे पर,पेड़ कटने लगे
बन गईं बिल्डिंगें,खेत घटने लगे
यह हुई ना ख़बर,हम रहे नींद में,
अपने हाथों ही हम,अब तो मिटने लगे।
पेड़ से दोस्ती,कोई करता नहीं
माँग धरती की कोई भी भरता नहीं
दर्द क़ुदरत का,बढ़ता ही तो जा रहा,
मंडला
1 यदि आप स्वैच्छिक दु
a. सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब
b. फेसबुक पेज https://www.facebook.com/
c. आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।
d. कृपया अपना पूर्ण विवरण
e. यदि आप हमारे सदस्य है
2 आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com
3 साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधि, ब्यूरो चीफ, रिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।
4 अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्र