हिंदू धर्म की आवाज

समय की व्यस्तता के कारण  मैं काफी समय से कोई लेख नहीं लिख पाई । लेकिन एफ बी के कारण अपने को अपडेट करती रही। एक रात में एफबी पर एक्टिव थी, तभी मैंने कनक मिश्री जी की पोस्ट पढ़ी।( यति नरसिंहानंद सरस्वती जी के बारे में) आंखों में नींद तो काफी थी पर पोस्ट ने अंदर तक झकझोर के रख दिया ।मैं दो-तीन दिन तक बेचैन रहीं। घर गृहस्थी की जिम्मेदारियों के साथ जवान होती बेटेऔर बेटियों के कारण।

जब तक हम बच्चे या युवा होते हैं। तब तक इन बातों का मतलब नहीं समझ आता ,पर जब हमारे बच्चे बड़े होते हैं। और हम एक अभिभावक की भूमिका में होते हैं। एक वही अंजाना सा डर जो हमारे समय में हमारे अभिभावकों में हमारे लिए होता था ,सताने लगता है ।  पर हमारे समय में परिस्थितियां काफी हद तक अनुकूल थी।  हम बच्चों का स्वभाव भी सौम्या में होता था। पर आजकल की परिस्थितिया बहुत ही प्रतिकूल हैं । और बच्चों या अविकसित युवा जबरदस्त विद्रोही स्वभाव की हो गए हैं। उनके साथ सामंजस्य बिठाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। पर उनकी  नासमझी के कारण उनको इस नर्क में तो नहीं डालल सकते ना । पर उन्हें सही समय पर सही दिशा निर्देश के माध्यम से अगाह तो कर ही सकते हैं।

अगर हम अपनी सीमाओं में भी रहकर छोटी-छोटी कोशिशें करें ,तो एक चैन बन जाएगी और यह भी राष्ट्र हित में आंदोलन ही होगा । हम अपने बच्चों  बेटे हो या बेटी मुस्लिमों की दोस्ती पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दें ।क्योंकि शुरुआत ही छोटी-छोटी बातों से होती है ।पहले मुस्लिम  लड़कियां हिंदू लड़के लड़कियों से दोस्ती करती हैं। फिर वह उनको अपने एजेंडे के तहत सभी मुस्लिम लड़कों के लिए शिकार बनाती हैं ।जैसे स्वामी यदि जी ने कहा था बात बिल्कुल सही है ।उनकी पीड़ा में अपने देश की युवा बर्बाद होते दिख रही है।
डासना मंदिर के महंत स्वामी यदि जी ने जो निर्णय लिया है।( मुस्लिमों पर पूर्ण पाबंदी का )मैं स्वयं उन का तहे दिल से समर्थन करती हूं। यह बोर्ड केवल डासना मंदिर में ही नहीं बल्कि देश के हर मंदिर में ,हर गली में , हर मोहल्ले में लगा होना चाहिए। बल्कि अपने बच्चों की सुरक्षा हेतु हर गली मोहल्ले पर ऐसी पाबंदी लगी होनी चाहिए।

एक बात समझ नहीं आई मुझे अभी तक, यह मुस्लिम दफनाए तो कब्रिस्तान में जाते हैं ।पर इनकी मजारे बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन ,स्कूल ,कॉलेजों के आसपास कैसे उग आती हैं ?  यह बात हमेशा समझ से परे रही मेरे। क्या इनकी मृत शरीर रेलो व बसों में सफर करती हैं? या अगले जन्म के लिए पढ़ाई करने जाती हैं स्कूल कॉलेजों में।
मैं सभी धर्मों को सम्मान देती हूं, भाईचारे की दुहाई देती हूं। पूर्व राष्ट्रपति कलाम जी के आगे नतमस्तक भी हूं ,पर मुस्लिम कलाम की आड़ में मुस्लिम कसाब को तो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकती ।मुस्लिमों का तो एजेंडा ही 2 से 28 बनाने का है ।और पूरे विश्व में अपना राज्य स्थापित करने का है ।पर सत्ता तो दिल से स्थापित की जाती है ना की घिनौनी हरकतों से ।अपनी सत्ता हर धर्म चाहता है। किसी को बदनाम करके या किसी के खिलाफ षड्यंत्र रच कर  ज्यादा दिनों तक नहीं रहती।
 हिंदू सनातन धर्म से बढ़कर पवित्र धर्म नहीं है। आज हमारे कुछ हिंदू भाई बहन केवल धन वा सत्ता के लालच में आकर अपने ही धर्म का अपमान करने पर तुले हैं । वह आज वही काम का समर्थन कर रहे जो मुस्लिमों के षड्यंत्र का हिस्सा है । हमारे हिंदू भाई बहन ही अपनी विनाश की गाथा लिखने में उनकी मदद कर रहे हैं।
पता नहीं कब इनकी आंखें खुलेगी। कब इन्हें हिंदू होने का एहसास होगा। और कितनी बेटियां इन मुस्लिमों की शिकार बनेगी । आज के दौर में विदेशी हमारी सनातनी संस्कृति को अपना रहे हैं। पर हम भारतीय आधुनिकता की दौड़ में इतने अंधे हो गए कि पाश्चात्य संस्कृति की आड़ में अपनी ही संस्कृति का अपमान कर रहे हैं। हम भारतीयों को फटी जींस और मिनी स्कर्ट में कंफर्ट फील होता है ।
पर भारतीय साड़ी सूट में शर्मिंदगी महसूस होती।  विदेशों की महिलाएं आज भारतीय परिधान हुआ  व सनातन संस्कृति को अपना रहे हैं । विदेशों में हमारी भारतीय वेदों को स्कूल कॉलेजों में लागू कर दिया गया है । वह अपनी पीढ़ी को पतित होने से बचा रहे हैं। आज हमारे वेद, हमारे  ग्रंथों का जो सम्मान हमारे भारत में होना चाहिए ,जो हमारे युवाओं में होना चाहिए ।आज वही सम्मान विदेशों में विदेशी  नागरिकों के मध्य हो रहा है। वह लोग अपने  स्कूल कॉलेजों की पढ़ाई में हमारे सनातनी वेद पढ़ा रहे हैं। जिससे कि उनकी आगे आने वाली पीढ़ी सुसंस्कृत हो सके। पाश्चात्य होते हुए भी आज पश्चिमी सभ्यता को छोड़ रहे हैं। और हिंदू धर्म हिंदू ज्ञान का चोला पहन रहे हैं ।
क्योंकि उन्हें सनातन धर्म हिंदू धर्म की मौलिकता उसकी अखंडता का रहस्य समझ आ गया है। पर हम भारतीय बार-बार अपनी सनातन संस्कृति की अखंडता पर प्रहार कर रहे हैं।
आज मेरा सर ,अफगानिस्तान में  गजनी शहर में रहने वाले एकमात्र हिंदू परिवार के सबसे बड़े मुखिया राजाराम जी के आगे नतमस्तक हो रहा है । जिन्होंने अफगानिस्तान में शेष एकमात्र हिंदू मंदिर की रक्षा के लिए अपनी जान को भी हथेली पर रख दिया है। उन्होंने अपने परिवार  की सुरक्षा के लिए ,उन्हें भारत भेज दिया और स्वयं अकेले रहकर वहां पर मुस्लिमों के बीच एकमात्र हिंदू मंदिर की सेवा और सुरक्षा के लिए जान को समर्पण कर दिया ।उनका कहना है मुझे अपनी सनातन संस्कृति का कर्ज अदा करना । मुझे अपना हिंदू धर्म निभाना है। धन्य है राजाराम जी, धन्य है वह भारत मां, जिसकी मिट्टी में ऐसे सनातनी का जन्म हुआ। क्या हम और आप में इतना बड़ा जज्बा है? जो विदेशी जमीन पर भी अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए अकेले लड़ सके।
अगर हम स्वयं अपने हाथों में तलवार ले नहीं सकते, अपने धर्म की रक्षा के लिए तो ,कम से कम ऐसे कट्टर हिंदुओं का मनोबल भी ना तोड़े । आज हम सब जातियों में बांट रहे हैं। अरे !जब धर्म ही नहीं बचेगा तो, जाती का क्या अचार डालोगे? हिंदू धर्म की जय हो !, सनातन संस्कृति की जय हो! और जय हो ऐसे मानव रूपी देवों की जिन्होंने अपने आपको अपने धर्म के लिए समर्पित कर दिया।
आज हमारा धर्म हमे चीख -चीख कर पुकार रहा है ।  हमें आवाजें दे रहा है।  अगर आज हम  अपने धर्म की रक्षा के लिए एकजुट नहीं हुए, तो कल हम भी नहीं बचेंगे ।अगर धर्म है, तो हम हैं और अपने धर्म की रक्षा करना हमारा मौलिक व नैतिक कर्तव्य है ।














नीरज शुक्ला ( मिश्रा )

1         यदि आप स्वैच्छिक दुनिया में अपना लेख प्रकाशित करवाना चाहते है तो कृपया आवश्यक रू से निम्नवत सहयोग करे :

a.    सर्वप्रथम हमारे यूट्यूब चैनल Swaikshik Duniya को subscribe करके आप Screen Short  भेज दीजिये तथा

b.      फेसबुक पेज https://www.facebook.com/Swaichhik-Duniya-322030988201974/?eid=ARALAGdf4Ly0x7K9jNSnbE9V9pG3YinAAPKXicP1m_Xg0e0a9AhFlZqcD-K0UYrLI0vPJT7tBuLXF3wE को फॉलो करे ताकि आपका प्रकाशित आलेख दिखाई दे सके

c.       आपसे यह भी निवेदन है कि भविष्य में आप वार्षिक सदस्यता ग्रहण करके हमें आर्थिक सम्बल प्रदान करे।

d.      कृपया अपना पूर्ण विवरण नाम पता फ़ोन नंबर सहित भेजे

e.      यदि आप हमारे सदस्य है तो कृपया सदस्यता संख्या अवश्य लिखे ताकि हम आपका लेख प्राथमिकता से प्रकाशित कर सके क्योकि समाचार पत्र में हम सदस्यों की रचनाये ही प्रकाशित करते है

2         आप अपना कोई भी लेख/ समाचार/ काव्य आदि पूरे विवरण (पूरा पता, संपर्क सूत्र) और एक पास पोर्ट साइज फोटो के साथ हमारी मेल आईडी swaikshikduniya@gmail.com पर भेजे और ध्यान दे कि लेख 500 शब्दों  से ज्यादा नहीं होना चाहिए अन्यथा मान्य नहीं होगा

3         साथ ही अपने जिले से आजीविका के रूप मे स्वैच्छिक दुनिया समाचार प्रतिनिधिब्यूरो चीफरिपोर्टर के तौर पर कार्य करने हेतु भी हमें 8299881379 पर संपर्क करें।

4         अपने वार्षिक सदस्यों को हम साधारण डाक से समाचार पत्र एक प्रति वर्ष भर भेजते रहेंगे,  परंतु डाक विभाग की लचर व्यवस्था की वजह से आप तक हार्डकॉपी हुचने की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। अतः जिस अंक में आपकी रचना प्रकाशित हुई है उसको कोरियर या रजिस्ट्री से प्राप्त करने के लिये आप रू 100/- का भुगतान करें