चीन की नई चाल, अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान सामरिक अड्डा बनाने की तैयारी में।

चीन की विदेश नीति विस्तार वादी नीति का अनुसरण करती है। अब उसकी तिरछी निगाह अफगानिस्तान की ओर दौड़ रही है। चीन अफगानिस्तान के साथ आर्थिक संबंध बनाने के जरिए उसकी सर जमीन पर अपने सामरिक अड्डे बनाने की फिराक में है। चीन अफगानिस्तान के संसाधनों खासकर कॉपर फील्ड में भारी निवेश करना चाहता है। लेकिन अफगानिस्तान सरकार और तालिबान युद्ध तथा तकरार के कारण अपना प्रोजेक्ट प्रारंभ नहीं कर पाया है। चीन अपने एक मिशन बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के जरिए अफगानिस्तान तथा आसपास के देश जैसे पाकिस्तान,तुर्किस्तान के साथ अपने संबंध बनाकर वहां सामरिक गतिविधियों को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इन देशों की गरीबी और सुरक्षा की वजह से उसे पूरी सफलता नहीं मिल पाई है।

जब से अमेरिका ने घोषणा की है कि उसकी सेना 10 सितंबर तक अफगानिस्तान से वापस हो जाएगी, तब से पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन अफगानिस्तान में दखल बढ़ाना चाहता है। वह अमेरिकी सेना की वापसी का फायदा उठाने के लिए कोशिशों को तेज कर चुका है। न्यूज़ एजेंसी शिन्हुआ की जारी सूचना के अनुसार चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आपस में बात की है, और बयान जारी किया है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी ईस तरह होनी चाहिए कि अफगानिस्तान के सुरक्षा के हालात फिर खराब ना होने पाए, तथा आतंकी ताकतों को फिर वापस आने का मौका ना मिले।
एजेंसी के अनुसार चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि अफगानिस्तान और चीन तथा पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए एक हितकारी योजना बनाकर इन तीनों देशों के बीच संवाद तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने की जरूरत होगी।उन्होंने आगे कहा कि अफगान और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिरता के सामने कई चुनौतियां हैं। जो नई भी हैं पुरानी भी हैं। अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी तेजी से हो रही है, शांति और सुलह की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। और सशस्त्र संघर्ष तथा आतंकी गतिविधियां तेज होने की संभावना है। विदित हो कि अफगानिस्तान में अमेरिका और सहयोगी दलों की उपस्थिति को लेकर चीन काफी लंबे समय से नाराज रहा है, और अपनी नाराजगी जगजाहिर कर चुका है। चीन की चिंता यह है यदि अफगानिस्तान विद्रोहियों आतंकवादियों के लिए फिर सुलभ सरल केंद्र बन गया तो उसके लिए खतरा बढ़ जाएगा ।क्योंकि अफगानिस्तान से चीन के क्षेत्र शिजियांग प्रांत की सीमा लंबी दूरी तक मिलती है। इधर अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमर और पाकिस्तान की विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बातचीत के दौरान चिंता जताई है, कि किसी भी आतंकी संगठन या व्यक्ति विशेष को आतंकी अथवा आपराधिक गतिविधियों के लिए यह भूमि संभाल नहीं करने दी जाएगी। अफगानिस्तान अब तक तालिबानी आतंकवादियों से खासा परेशान रहा है, और अमेरिका की सेना कई सालों से अफगानिस्तान पर डटी हुई थी ।अब वापसी के बाद अफगानिस्तान इस पर कोई दखल नहीं चाहता। ऐसे में चीन और पाकिस्तान अपनी व्यापारिक तथा आर्थिक नीति के पीछे पाकिस्तान के साथ मिलकर सामरिक अंडे बनाने की तैयारी मैं तेजी से जुट गया है। यह उल्लेखनीय है कि भारत की सीमा भी अफगानिस्तान की सीमा से बड़े भूभाग से जुड़ी हुई है, और भारत के दोनों देश चीन और पाकिस्तान परंपरागत दुश्मन रहे हैं। और ऐसे वक्त में चीन तथा पाकिस्तान,अफगानिस्तान पर अपना ठिकाना बना कर भारत को नुकसान करने में चूकेंगे नहीं। भारत के लिए चिंताजनक बात होगी। अफगानिस्तान से भारत के आज के नहीं कई दशकों पूर्व से ही मधुर और दोस्ताना संबंध रहे हैं।भारत में अफगानिस्तान की कई तरीके से मदद भी की है। इसके पूर्व अफगानी नेता खान अब्दुल गफ्फार खान को सीमांत गांधी का दर्जा भी दिया गया है। ऐसे में चीन की अगली नई चाल अफगानिस्तान में व्यापारिक समझौते कर उसके पीछे ,आड़ में अपनी सामरिक गतिविधियां तेज करने की फिराक में है जिसे भारत को अमेरिका की मदद से अफगानिस्तान में रोकना होगा, अन्यथा फिर भारत में और आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने की संभावना होगी ।













  संजीव ठाकुर
    छत्तीसगढ़
  9009 415 415

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