अगर हौसला बुलंद हो तो हालात जरूर बदलते है और इस बात का बेनमून उदाहरण है जन्म से दिव्यांग सुहास एलवाय। आजकल के युवाओं के लिए प्रेरणादायक कह सकते है सुहास एलवाय का संघर्षरत सफ़र। सुहास के जीवन की कहानी संघर्षों से भरी रही है। बचपन में सामान्य बच्चों के बराबर रहने के लिए उन्होंने संघर्ष किया। जब बड़े हुए तो नौकरी में संघर्ष रहा। जब नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी के लिए सोचा तब तो संघर्ष भी अपनी सीमा पार कर गया। दरअसल, उसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया और परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई थी। उन्होंने दोनों को जिम्मेदारियों को पूरी हिम्मत के साथ निभाया।
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