शारदीय नवरात्र,महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा का पुण्यस्मरण।

मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा पूरे देश में दस दिन तक धूमधाम से की जाती है। यह नवरात्र का त्यौहार वर्ष में दो बार आता है। प्रथम चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे वासन्तिक नवरात्र का पवित्र नाम दिया गया है, द्वितीय आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है। देश में शारदीय नवरात्र ज्यादा प्रचलन में है। मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करने के साथ यह पवित्र पर्व पर अधिकांश जनमानस उपवास या व्रत शुरु कर माता का पवित्र स्मरण कर वैश्विक जन् की मंगल कामनाओं के साथ शुरू करते हैं। इस नवरात्रि और दुर्गा पूजा का संबंध धार्मिक ग्रंथों में पौराणिक कथा का उल्लेख है। इस कथा के अनुसार एक समय देवताओं के राजा इंद्र एवं राक्षसों के राजा महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया था, युद्ध में देवराज इंद्र की पराजय हुई थी, तब मां दुर्गा ने 9 दिन तक लगातार महिषासुर के साथ युद्ध कर दसवे दिन उसे पराजित कर उसका वध किया था। दुर्गा मां का तबसे महिषासुरमर्दिनी भी सम्मान पूर्वक नाम दिया गया था। यह त्यौहार पूरे देश में पूरी श्रद्धा और लगन से तो बनाए ही जाता है पर विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में बड़े ही हर्ष, उल्लास ,उत्साह एवं निष्ठा के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। बंगाल में षष्ठी के दिन प्राण प्रतिष्ठा के इस विधि विधान को बोधन अर्थात शुभारंभ कहा जाता है। इसी दिन माता के मुख से आवरण हटाया जाता है। पूरे हिंदुस्तान के लोग इस नवरात्रि में व्रत उपवास रहकर मां दुर्गा की उपासना में रत रहते हैं। गुजरात में मैं शारदीय नवरात्र के दौरान डांडिया तथा गरबा की धूम रहती है। नवयुवक तथा नवयुवतियां अपने साथियों के साथ गरबा खेलते हैं। इस दौरान व्रत रखा जाता है, देवी की 9 दिनों अखंड ज्योत जलाई जाती है और प्रतिदिन हवन कुंड में यज्ञ किया जाता है। इस तरह शारदीय नवरात्रि का त्यौहार बड़े ही पवित्र तरीके से एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है मां दुर्गा सबकी मनोकामना भी पूर्ण करती हैं ऐसी आस्था एवं विश्वास आमजन के दिलों में समाया हुआ है। दुर्गा पूजा पूरे 9 दिन तक अनवरत चलती है 9 दिन के पश्चात दशमी के दिन शाम को उनकी प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है और इस दशमी को विजयादशमी के त्यौहार के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। विजया या दशहरा बनाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। भगवान राम ने रावण पर विजय पाने के लिए मां दुर्गा की पूजा और व्रत किया था इसीलिए इस दिन को शक्ति पूजा के रूप में मनाते हैं। एवं अस्त्र शस्त्र की पूजा भी की जाती है। अंततः भगवान राम ने मां दुर्गा के अखंड आशीर्वाद से रावण का वध कर विजय पाई थी। और तब से दसवीं यानी दुर्गा पूजा के दसवें दिन दशहरा के रूप में मनाने के पीछे श्री रामचंद्र जी की दुर्गा के प्रति अखंड आस्था विश्वास एवं श्रद्धा का प्रतीक मानकर दशहरे के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश में कुल्लू शहर दशहरे का मेला बहुत ज्यादा प्रसिद्ध एवं विख्यात है। यह मेला कई दिनों तक मनाया जाता है। मां दुर्गा का शारदीय नवरात्रि एवं विजयादशमी का त्यौहार अनीति, अत्याचार, तामसिक प्रवृत्तियों का नाश एवं बुराई के अंत का बहुत ही पवित्र प्रतीक है। नवरात्रि तथा विजयादशमी का त्यौहार मां दुर्गा सिंह वाहिनी की असीम शक्ति, अनंत पराक्रम की पवित्रता एवं रामचंद्र जी की भक्ति, शक्ति एवं आदर्शों का आभास कराने वाला बहुत ही पवित्र त्यौहार है। नवरात्रि में दुर्गा के अलग-अलग रूपों की प्रतिदिन पूरी श्रद्धा के साथ पूजा एवं ज्योत जलाकर हवन किया जाता है। मां दुर्गा के नौ रूप प्रथम शैलपुत्री, द्वितीय ब्रह्मचारिणी, तृतीय चंद्रघंटा,चतुर्थ कुष्मांडा, पंचम कात्यायनी, षष्ठम कालरात्रि, अष्टम महागौरी, नवम सिद्धिदात्री माने जाते हैं। हर दिन इन सब की अलग अलग अनंत श्रद्धा,भक्ति तथा विश्वास के साथ पूजा की जाती है। आप सभी को पवित्र नवरात्रि पर्व की अनंत बधाई एवं शुभकामनाएं।








संजीव ठाकुर
छत्तीसगढ़


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