बचपन में पढ़ीं थी तुम्हारी गाथा,
सुनकर गर्व हो आता है।
राष्ट्र के वीर सपूत, "महाराणा प्रताप"
तुमको नमन हमारा है।
हल्दी घाटी का वो युद्ध,
तुमने घास की रोटी खाई थी ।
फिर दुश्मन को पीछे पछाड़,
मातृभूमी का कर्ज चुकाया था ।
वह चेतक घोड़ा था अजूबा,
देखो-कैसे हवा से बाते करता था।
अपने भाले से देखो दुश्मन को पछाड़,
तुम आगे कैसे बढ़ जाते थे।
वह रक्तरंजित युद्धभूमी,
दुश्मनों के मुंड से भर जाती थी।
तुम्हारा इस भूमी पर जन्म लेना,
परम सौभाग्य हमारा है।
नही भूलता वह बलिदान,
जब जंगल में कई वर्ष गुजारे थे।
हे वीर !!
मातृभूमी की रक्षा हेतु तेरी हुंकार
को ,
शत-शत नमन हमारा हूँ
प्रियंका रस्तोगी
(शहीद)\
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